________________
.
यन्त्र मन्त्र
पूजन आदि सहित
[१६५
.. .-- |-
पादइयं तव विभो । भुधि जन्मभानः॥ ३४॥
- -- -- .. –
भक्त्यालसत्पलकपदमल - देहदेशाः ।
FOwा र ८ मा ₹य स्याह'
ॐनमो भ ग व ते भूत पिशा,
चन्यास्त एप भुवनाध्यिा ये निसय
HERI
Maare
s
unjanyar ensune
इलोक ३४ ऋद्धि-ॐ ह्रीं मई णमो 'जि भरसायतकखणणं ।
मन्त्र-ह्रीं नमो भगवति (ते!) भूतपिशापराचसखेतालान ताब्य ताइय, मारय मारय स्वाहा।
गुण-भूत, पिशाच, राक्षस, शाकिलो और आकिनो को पोड़ा तथा शत्रुभय का विनाश होता है।
फल-गोदावरी नदी के किनारे पैठनपुर नगर के प्रतापकुवरको पिशाच द्वारा सताये जाने पर अतधो नाम के वरिणकपुत्र ने इस स्तोत्र के ३५ में काव्यसहित इस मन्त्र की बाप जय पार तया इसी मंत्र से मन्त्रित जल को पिलाकर पिशाच की बाधा दूर की थी।