________________
१४= }
शनीयमय मृतमित्यनु - चिन्त्यमानं ।
श्रीमती सार्थ
कि नाम को विश्वविकार मपा करो कि 199019
R
क
द्रीं नमः ९
भ
F11
(स) No
ॐ ॐ
()
1
34
f
मो धृ
आत्मा मनीषिभिरयं यदभेदबुध्या
श्लोक १७
ऋद्धि-ॐ ह्रीं घई समो कुद्ध ( ट्ठ ? ) बुद्धि (डिट 7 )
कासए ।
b
मन्त्र - ॐ नमो घृति देव्यं ह्रीं श्रीं क्लीं ग्लू ऍ द्रां ह्रीं नमः (स्वाहा ) |
गुरण – यन्त्र पास रखने पर विग्रह ( वंर विरोध ) वास होता मौर विजय प्राप्त होती है ।
फल - कौशाम्बी देश के मृगापुत्र राजा ने भीषण संग्राम मैं पराक्रमी राजा भद्रबाहु को इस मन्त्र के प्रभाव से पराजित किया था ।