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________________ * जिनसहस्रनाम टीका २८ * - पुनश्वोक्तं भगवज्जिनसेनाचार्यैः ध्वनिलक्षणम् - देवकृतोध्वनिरित्यसदेतद्देवगुणस्य तथा विहतिः स्यात् । साक्षर एव च वर्णसमूहा नैवं विनार्थगतिर्जगति स्यात् ॥ अस्य व्याख्या सर्वज्ञध्वनिः किल देवनिर्मितः इति केचिदव्युत्पन्नाः वदन्ति, असदेतत् असत्यमेतद्वचनं । कस्मादिति चेत् देवगुणस्य तथा विहतिः स्यात्, तथा सति इंद्रादिदेवकृतध्वनौ सति देवगुणस्य, तीर्थंकरपरमदेवगुणस्य कृतोपकारस्य विहतिः विघातो विच्छेदः स्याद् भवेत् पूर्वार्द्धगतम् । अथ अपरार्द्धस्य व्याख्यानं क्रियते । साक्षर एव च वर्णसमूहानैव विनार्थगतिः स्यात्, परमेश्वरध्वनिः किल निरक्षर : ॐकाररूपो नादरूप इति केचिद्वदति तन्मतनिराकरणार्थं भगवज्जिनसेनाचार्याः प्राहुः । साक्षर एव च परमेश्वरध्वनिर्निरक्षरो न भवति किन्तु साक्षर एव च दिव्यसंस्कृताक्षरसहितो भवति । देवानां गीर्वाणभाषात्वात्, वर्णसमूहाद् विना जगति संसारे अर्थ गतिरर्थ प्रतीतिर्नैवस्यात्, एवेति निश्चयेन अर्थो न ज्ञायते इति तात्पर्यार्थः । जिनसेन आचार्य ने ध्वनि का लक्षण किया है- कोई अज्ञानी जन ध्वनि को देवकृत मानते हैं परन्तु उनका यह कथन असत्य है क्योंकि इन्द्रादि देवकृत ध्वनि सर्वजीवोपकारी, तीर्थंकर परमदेव का गुण नहीं हो सकता अतः ऐसा मानने पर परमदेव के उपकार का व्याघात होता है । कोई अज्ञानी एकान्त रूप से भगवान की वाणी को निरक्षरी 'ॐकार' रूप स्वीकार करते हैं परन्तु भगवन् जिनसेनाचार्य उनके मत का निराकरण करने के लिए कहते हैं क्रि- भगवद् वाणी कथंचित् साक्षर है क्योंकि अक्षर के बिना संसार में अर्थ की प्रतीति नहीं होती तीर्थंकर की वाणी दिव्य है, महानू है, सर्वभाषात्मक है अत: उस भाषा के पति, स्वामी होने से आप दिव्यभाषापति हैं। दिव्यः = दिवि सर्वार्थसिद्धौ भवः उत्पन्नो भगवान् दिव्यः = भगवान आदीश्वर पूर्व भव में सर्वार्थसिद्धि में अहमिन्द्र देव थे। वहाँ से चयकर यहाँ नाभिराय मरुदेवी के पुत्र हुए अतः वे दिव्य हैं। पूतवाक् = पूता पवित्रिता अनर्थकश्रुति कटुक व्याहतार्था - लक्षण - स्व संकेत प्रकलृष्टार्थ प्रसिद्धा समन्तदोषोज्झिता वाक्वाणी यस्य स पूतवाक् पूत = -
SR No.090231
Book TitleJinsahastranamstotram
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorPramila Jain
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
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