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________________ * जिनसहस्रनाम टीका २२ प्रबुद्धात्मा प्रकर्षयुक्त केवलज्ञान सहित आत्मा है जिस जीव का वह प्रबुद्धात्मा कहा जाता है। H सिद्धार्थः = सिद्धा प्राप्तिमागता अर्था धर्मार्थकाममोक्षाश्चत्वारो यस्य स सिद्धार्थः । सिद्धानां मुक्तात्मनामर्थ: प्रयोजनं यस्य स सिद्धार्थः । सिद्धपर्यायादपरं प्रयोजनं यस्य न स सिद्धार्थः । सिद्धपर्यायादपरं प्रयोजनं किमपि भगवतो न वर्त्तते इत्यर्थः । अथवा सिद्धानां विदुषां प्रसिद्धिं गता अर्धा जीवाजीवास्रवबंध संवरनिर्जरापुण्य पाप लक्षणा नवपदार्था यस्मादसौ सिद्धार्थः = जिनको धर्म अर्थ काम तथा मोक्ष ऐसे चार पुरुषार्थों की प्राप्ति हुई है उसे सिद्धार्थ कहते हैं। सिद्ध मुक्तात्मा को कहते हैं और मुक्तात्मा का अर्थ या प्रयोजन ही भगवान को है, इसलिए सिद्धार्थ हैं। सिके बिना इनर प्रयोग भवन को नहीं होता है। अथवा सिद्ध शब्द का अर्थ विद्वान् लोगों ने ऐसा भी कहा है - जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा, मोक्ष, पाप और पुण्य ये नवपदार्थ भगवंत से सिद्ध होते हैं। भगवंत के बिना इन नव पदार्थों का ज्ञान विद्वज्जन को नहीं होता अतः भगवान सिद्धार्थ हैं, अथवा सिद्ध हो गया मोक्ष का हेतु रत्नत्रय जिनको ऐसे भगवंत सिद्धार्थ हैं। - - सिद्धशासनः = सिद्धं नित्यं निष्पन्नं प्रसिद्धं शासनं मतं यस्येति सिद्धशासनः = हमेशा निष्पन्न हुआ है प्रसिद्ध शासन, मत जिनका ऐसे भगवान सिद्धशासन हैं। सिद्धसिद्धान्तवित् = सिद्धं परिपूर्णसिद्धान्तं लोकालोकस्वरूप प्रतिपादकं द्वादशांगाख्यशास्त्रं वेत्तीति जानातीति सिद्ध सिद्धान्तवित् = सिद्ध परिपूर्ण ऐसा जो सिद्धान्त, लोकालोक के स्वरूप का प्रतिपादक द्वादशांग शास्त्र, उसे जानने वाले भगवान सिद्धसिद्धांतवित् कहे जाते हैं । ध्येय: = स्मृध्यै चिन्तायां । ध्यायते स्म वर्णिभिः योगिभिराराध्यो ध्येयः आत्स्वनोरिच्च = 'स्मृध्ये' धातु चिन्ता और ध्यान अर्थ में आता है अतः जो योगियों के द्वारा ध्यान करने योग्य है, आराध्य है इसलिए ध्येय कहलाते हैं। सिद्धसाध्यः = सिद्धानां देवविशेषाणां साध्यः साधनीयः आराधनीयः सः सिद्धसाध्यः = सिद्ध जाति के देवों से भगवान साधनीय आराधनीय हैं इसलिए
SR No.090231
Book TitleJinsahastranamstotram
Original Sutra AuthorJinsenacharya
AuthorPramila Jain
PublisherDigambar Jain Madhyalok Shodh Sansthan
Publication Year
Total Pages272
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Devotion, & Worship
File Size5 MB
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