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________________ चम्पापुरी और रथनुपुर नगरों का वर्णन हुआ है। रधनुपुर के राजा की ८४ । स्त्रियों से प्राचीन काल के देशों का पता चलता है । सूर सामीय साहु सोतियहि । सरि सरवर सावयहं सबल अघि सारंग साहणसिक । सोहा सहियण हं सिखी संत सहीयरण समारणहं ॥ दसरा सीमा सत्थवइ सत्यं सवप सुहसार । सुवस सील वसंतपुर छह चउवीस सकार ।। मोह मछरु मारण मायारु । मउ मरी मारण मरविण मलिण मलण जहि कोवि सीसइ । महु मंस मवरासहि उतहि मछिटु मउरउण दीसइ । मूढ़ मुसण मगलु मखरु जहि ए मसइ जल मीणु । भरणह रह सु वसंतपुर बीस मकार विहीगु ॥३६।। राज-पाणु किमु करि वणियइ, पच्चलु सग्गु खंड जारिशयह । वसइ बसंतु एयरु सो घणउ, चंदसिंहरु राजा तह तरिणउ ।।४०।। चंदसेखर रावा के भवरणा, दिपहि त माणिक मोती रपण । समनु प्रतेउरु रूपनिवासु, वीस बीस सवण्हु प्रवासु ।।४।। वसहि त सबल लोय सुपियार, कंतरामइ तिन्ह कियाए विहार । पर कहु मीच एग बंछइ कोइ, जीव दया पालइ सब कोइ ।।४।। कोखी माती पालहि दया, पटवा जीवकह इहि मया । पारधो जीव रंग घालहि घाउ, दवा धम्मु कर सबही भाउ ।।४।। बामण खत्री अकरति चर्म, ते सब पालक सरावग धर्म । मारण लाइ दियइ कलमली, जिणवरु गवहि छत्तीसउ कुली ।।४४॥ १. तहि असोक बिज्जाहर राज, असोकसिरी राशि कह भाउ । र सुरेन्द्र जो यापिउ सुरई, गरुव गरेंद सेवज सु करहं ॥२६॥ साहरण बाहरण न मुणउ अतु, करहि राजु मेइणि विलसंत । इकतीस
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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