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________________ रथम पुर नगर-वर्णन घरसरिणवे सुखसेरणालि, तारादे कर कह समालि । मंवोधरि अरु चंद्रमतो, होररवे राणी रेवती । अर्थ :-"मारेगा महादे राशी हैं, सांबन पोट महगाटे को जानो रेखा, मुमति सुता पधिनी हैं। तथा मोगविलसिनी, हंसगामिनी हैं।" ।।२७४॥ दर्षानदे, सुखसेशावली, तारादे (के नाम) रल्ह कवि स्मरण कर कहता है 1 मंदोदरी, चन्द्रमती, हीरादे तथा रेषली रानियां हैं ।।२७५।। [ २५६-२७७ ] सारंगदै अरु चंद्रायरिण, वीरमदे राणी भावतो । गंगावे राणी गजगमणि, कमलावे पर हंसागमरिण । मुक्तादेयि रुब भागली, चिणि हंसिणि अरु पपिनौ । सोनमती वरंगत हो घरणी अर्थ :- “सारंगदे, चन्द्रवदनी, मनको भावने नाली राणो वीरमदे, भगाद, रामी गजगामिनी, कमन्नादे मोर हंसगामिनी हैं।" ।।२७६ ।। "मुवता देवी है जो रूप में वही बड़ी है, चितिशी, हंसिणी एवं दिनो रानियाँ हैं । सोनवती अत्यत्रिक सुन्दर स्त्री है..........||२७७।। [ २७६-२६-२८० ] अषलो वासा पोदा तिरो, पिग्रसुन्दरी सुमहल ममपुरी । भोरपती रामा अविचार, भोगवतो करलाल कुमारि ॥ श्रीवसंतमासा सोभाष, हरह चिस कामिणी कराव । सव्वद वानि दारिद. घालहि, सम्बर सोदराय बालहो ।। करला विनोद छंद पर करहि, सुरप पर्सगि राा मन हाहि । गीत विनान जारण पति, हाव भाव विभृम सुपरति ॥
SR No.090229
Book TitleJindutta Charit
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRajsinh Kavivar, Mataprasad Gupta, Kasturchand Kasliwal
PublisherGendilal Shah Jaipur
Publication Year
Total Pages296
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Story
File Size4 MB
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