SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 91
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ चारित्तक्खवणा * बंधो व संकमो वा णियमा सव्वेसु हिदिविसेसेसु त्ति एवं णव्वदि णिद्दिडं त्ति एदं पुण पच्छिदे किं सव्वेसु द्विदिविसेसेसु, पाहो ण सम्वेसु । $ १३५ गतार्थमेतत्, पूर्वोक्तस्यैवार्थस्यानेन दृढीकरणात् । एवमेदस्स गाहापुन्वद्धस्स पुच्छासुत्तत्थं जाणाविय पुच्छाकमं च पदरिसिय संपहि एदिस्से पुच्छाए गाहासुत्तसूचिदं णिग्णयविहाणं कुणमाणो विहासासुत्तयारो विहासागंथ मुत्तरमाढवेह-- * तदो वत्तव्वं ण सव्वेसु त्ति । ६ १३६ तत एवं वक्तव्यं न सर्वेषु स्थितिविशेषेष्विति । कुत एवमिदि घेत् ? आह * किट्टीवेदगे पगदं ति चत्तारि मासा एत्तिगात्रो हिदीनो बज्झति, आवलियपविट्ठाओ मोत्तण सेसाश्रो संकामिति । * बन्ध और संक्रम नियमसे स्थितिविशेषोंमें होता है इस वचनसे यह जाना जाता है कि इस द्वारा यह निर्देश किया गया है कि यह व्याख्यानसूत्र है क्या ? परन्तु यह व्याख्यानसूत्र न होकर पच्छासूत्र है। इस द्वारा यह पूछा गया है कि बन्ध और संक्रम सब स्थितिविशेषोंमें होता है या सब स्थितिविशेषों में नहीं होता। ६ १३५ यह सूत्र गतार्थ है, क्योंकि अर्थको ही इस द्वाग दृढ़ किया गया है । इस प्रकार उक्त गाथासूत्रके इस पूर्वार्धके पृच्छासूत्ररूप अर्थको जानकर और पृच्छाक्रमको दिखलाकर अब इस पृच्छाके द्वारा गाथासूत्रसे सूचित होनेवाले निर्णयसम्बन्धी कथनको करते हुए विभाषासत्रकार आगेके विभाषाग्रन्थको आरम्भ करते हैं * उक्त प्रश्न के उत्तरमें कहना चाहिये कि सब स्थितियोंमें बन्ध और संक्रम नहीं होता है। ६१३६ इसलिये यह कहना चाहिये कि सब स्थितिविशेषोंमें बन्ध और संक्रम नहीं होता है। शंका-ऐसा क्यों होता है ? समाधान--कहते हैं * यहाँ कृष्टिवेदकका प्रकरण है, इसलिये इसके 'चार मास' इतनी ही स्थितियाँ बंधती हैं। तथा आवलि (उदयावलि) प्रविष्ट स्थितियोंको छोड़कर शेष सब स्थितियां संक्रामित की जाती हैं।
SR No.090228
Book TitleKasaypahudam Part 16
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages282
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size25 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy