________________
मान्य पं. बाबूलालजी जैन फागुल्ल महावीर प्रेस के मालिक हैं। मेरे अनुरोधको ख्यालमें रखकर इस भाग को मुद्रित करनेमें उनका वांछनीय सहयोग मिला हुआ है। इसके लिए वे भी धन्यवादके पात्र हैं।
. विशेष क्या निवेदन करूं। इस कामके पूरा करनेमें मुझे ४८ वर्ष लगे हैं। फिर भी मेरे द्वारा यह पूरा हो रहा है इसकी मुझे प्रसन्नता है। यह जीवन इसी प्रकार भगवान् महावीर की वाणीके लेखनमें व्यतीत हो यही मेरी अन्तिम इच्छा है। णमो अरिहंताणं, णमो सिद्धाणं, णमो आइरियाणं, णमो उवज्झायाणं, णमो लोए सव्वसाहूणं ।
-फूलचन्द्र शास्त्री