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खवगसेढीए अट्ठममूलगाहाए तदियमासगाहा
१८१ असंखेज्जविभागणंतरिदायो दुगुणाओ ति । तदो आवलियाए असंखेज्जविभागे जवमझं ।
६४८०. जवमज्मस्सुवरि आवलियाए असंखेज्जविभागमेत्तद्धाणं गंतूण बुगुणहाणी होदि । एवं वव्वं जाव चरिमवियप्पो त्ति। जवमझस्सुवरिमअद्धाणपमाणमावलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तमिह गहेयन्वं । कि कारणं ? असामण्णाटिदीओ सव्वुक्कस्साओ विणिरंतरमावलियाए असंखेज्जविभागमेती चेव होति त्ति भणिवत्तावो। एवमेदं परूविय संपहि जम्हि समयपबद्धसेसयमस्थि सा ट्रिवी सामण्णा त्ति एदेणेव संबंधेण सामणदिदिविसयाणं समयपबद्धसेसागमेगादिएगुत्तरटिदिविसेसेसु पडिबद्धाणमटाणक्कमजाणावण8 विहासागंथमुत्तरमाढवेइ -
* समयपबद्धस्स एक्केक्कस्स सेसगमेक्किस्से विदोए ते समयपबद्धा थोवा ।
६४८१. एक्स्सत्थो-जस्स वा तस्स वा एक्कस्त समयपबद्धस्स सेसगं सेसासेसगट्रिवि. परिहारेणेक्किस्से चेव अण्णदरदिदीए पडिबद्धमत्थि तस्सेगा सलागा घेत्तव्वा । पुणो अण्णस्स वि एक्कस्स समयपबद्धस्स सेसगमण्णदरम्मि एगट्टिदिविसेसे पडिबद्धमत्थि, तस्स विदिया सलागा घेत्तन्वा । एवमेगेगटिदिपडिबद्धसेससंबंधिणो जेत्तिया समयपबद्धा लभंति तेसि सम्वेसि पावेक्कमेक्केक्का सलागा घेतबा। एवं गहिदसलागाओ सम्वत्थोवाओ होंति, उवरिमवियप्पपडिबद्धसमयपबद्धस लागाणतो बहुत्तसणादो ति।
* जे दोसु द्विदोसु ते समयपवद्धा विसेसाहिया । मागप्रमाण अन्तरित द्विगुणवृद्धियां होती हैं। इसलिए वहां आवलिके असंख्यातवें भागमें यवमध्य होता है।
६४८०. तत्पश्चात् यवमध्यके ऊपर आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण स्थान जाकर द्विगुणहानि होती है। इस प्रकार अन्तिम विकल्पके प्राप्त होने तक ले जाना चाहिए। यहाँ यवमध्यके आगेके स्थानका प्रमाण आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण ग्रहण करना चाहिए, क्योंकि असामान्य स्थितियां सबसे उत्कृष्ट भी निरन्तर बावलिके असंख्यातवें भागप्रमाण होती हैं ऐसा कहा गया है। यहां इस प्रकारका कथन करके अब जिस स्थितिमें समयप्रबद्धशेष है वह सामान्य स्थिति है। इस प्रकार एकसे लेकर आगे एक-एक अधिकके क्रमसे स्थितिविशेषोंमें प्रतिबद्ध सामान्य स्थितिविषयक समयप्रबद्धशेषोंके अवस्थानके क्रमका ज्ञान करानेके लिए भागेके विभाषा ग्रन्थको प्रारम्भ करते हैं
* एक-एक समयप्रबडके शेष एक-एक स्थितिमें होकर वे समयप्रबद्ध सबसे थोड़े हैं।
६४८१. इसका अर्थ-जिस किसी एक समयप्रबद्धका शेष शेष समस्त स्थितियोंको छोड़कर एक ही अन्यतर स्थितिमें प्रतिबद्ध है। उसकी एक शलाका ग्रहण करनी चाहिए। पुनः अन्य भी एक समयप्रबद्धका शेष अन्यतर एक स्थितिविशेषमें प्रतिबद्ध है। उसको दूसरी शलाका ग्रहण करनी चाहिए। इस प्रकार एक-एक स्थितिविशेषमें प्रतिबद्ध शेषसम्बन्धी जितने समयप्रबद्ध प्राप्त होते हैं उन सबमें से प्रत्येककी एक-एक शलाका ग्रहण करनी चाहिए। इस प्रकार ग्रहण की गयो शलाकाएं सबसे थोड़ी होती हैं, क्योंकि उपरिम विकल्पोंसे प्रतिबद्ध समयप्रबदोंको शलाकाएं इनसे बहुत देखी जाती हैं।
ओ समयप्रबड प्रत्येक बो-दो स्थितियों में प्रतिबद्ध हैं वे समयप्रबद्ध विशेष अधिक हैं।