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खवगसेढीए अट्टमूलगाहाए तदियभासगाहा सुत्ताविरोहेण चितिय वत्तव्वा।
६४७६. अथवा 'एक्केक्केण असामण्णाओ योवाओ' एवं भणिदे एकेकेण सामण्णेण अंतरिदाणमसामण्णदिदीणं वियप्पसलागाओ थोवाओ त्ति भणिदं होइ। दोसु वि पासेसु एगेगसामण्णट्टिदी होदण पुणो मज्झे एक्का वा, वो वा, बहुआ वा सामण्णद्विदीओ होदण जाओ लन्भंति तासि सलागाओ संपिडिय गहिदाओ थोवाओ त्ति भावत्यो।
६४७७ 'दुगेण विसेसाहिया' एवं भणिदे दोहिं दोहिं सामण्णाहिं अंतरिदाओ असामण्णद्विदीओ केत्तियमेतीओ वि होदूण लब्भमाणाओ अत्थि, तासिं सलागाओ सम्वत्थ संपिडियूण गहिदाओ विसेसाहियाओ त्ति घेतव्वाओ। एस्थ विसेसपमाणमावलियाए असंखेन्जदिभागपडिभागमिदि घेत्तव्वं । 'तिगेण विसेसाहिया' एवं भणिवे तीहि तोहि सापण्णाहिं अंतरिदाओ असामण्णट्ठीदोओ संपिडिय गहिदवियप्पसलागाओ विसेसाहियाओ ति भणिदं होदि। एत्थ वि विसेसपमाणं पुध्वं व वत्तव्वं । एबमेदीए परूवणाए आवलियाए असंखेज्जदिभागमेतद्वाणं गंतूण दुगुणवड्डी होइ। एवंविहाओ आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तीओ दुगुणवड्डोओ गंतूण तदित्थवियप्पसलागासु जवमज्झं होदि । तदो विसेसहीणकमेण आवलियाए असंखेज्जदिभागमेत्तद्धाणं गंतूण दुगुणहाणी होदि। एवं दुगुणहाणीओ होदूण गच्छंति जाव चरिमवियप्पो ति।
६४७८. संपहि एदेणेव देसामासयसुत्तेण सामणदिदीणं पि जवमझपरूवणा सूचिदा।
थोड़ी जाननी चाहिए। यहाँपर पूरी अशेष उपदेशान्तरको शुद्धि सूत्रके अविरोधपूर्वक विचारकर कहनी चाहिए।
६४७६. अथवा 'एक-एक रूपसे असामान्य स्थितियां थोड़ी हैं' ऐसा कहनेपर एक-एक सामान्य स्थितिसे अन्तरित असामान्य स्थितियोंके भेदोंको शलाकाएं थोड़ी हैं यह उक्त कथनका तात्पर्य है। दोनों ही पार्श्व भागों में एक-एक सामान्य स्थिति होकर पुनः मध्य में एक अथवा दो अथवा बहुत सामान्य स्थितियां होकर जो प्राप्त होती हैं उनको शलाकाएं मिलाकर ग्रहण करनेपर वे थोड़ी होती हैं यह इसका भावार्थ है।
६४८७. 'दुगेण विसेसाहिया' ऐसा कहने पर दो-दो सामान्य स्थितियोंसे अन्तरित असामान्य स्थितियां कितनी भी होकर प्राप्त होती हैं, उनको शलाकाएं पूरी मिलाकर ग्रहण करनेपर विशेष अधिक होती हैं ऐसा ग्रहण करना चाहिए। यहाँपर विशेष का प्रमाण आवलिके असंख्यातवें भागके प्रतिभागरूप 'ऐमा ग्रहण करना चाहिए। 'तिगेण विसे साहिया' ऐसा कहनेपर तीन-तीन सामान्य स्थितियोंसे अन्तरित असामान्य स्थितियोंको मिलाकर ग्रहण की गयो भेदोंकी शलाकाएँ विशेष अधिक होती हैं यह उक्त कथनका तात्पर्य है। यहाँपर भी विशेषका प्रमाण पहलेके समान कहना चाहिए। इस प्रकार इस प्ररूपणाके अनुसार आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण स्थान जाकर द्विगुणवृद्धि होती है। इस प्रकारकी आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण द्विगुणवृद्धियां जाकर स्थित भेदोंकी शलाकाओंपर यवमध्य होता है। तत्पश्चात् विशेष हीनक्रमसे आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण स्थान जाकर द्विगुणहानि प्राप्त होती है। इस प्रकार अन्तिम विकल्पके प्राप्त होने तक द्विगुणहानियां होकर जाती हैं।
६४७८. अब इसी देशामर्षक सूत्रके द्वारा सामान्य स्थितियोंकी भी यवमध्य प्ररूपणा