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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे तोहि मूलगाहाहि गदिमाविमग्गणासु पुग्वबद्धाणं भयणिज्जाभयणिज्जभावगवेसणं काढूण संपहि सत्तमीए मूलगाहाए अवयारं कुणमाणो इदमाह
* एत्तो सत्तमीए मूलगाहाए समुक्कित्तणा।
६३९७. जहावसरपत्ताए सत्तमीए मूलगाहाए अत्थविहासणटुमेत्तो समुक्कित्तणा कायव्वा त्ति वुत्तं होइ। (१४१) एगसमयपबद्धा पुण अच्छुत्ता केत्तिगा कहि द्विदीसु ।
भवबद्धा अच्छुत्ता द्विदीसु कहि केत्तिया होति ॥१९४॥ 5 ३९८. एसा सत्तमी मूलगाहा अंतरकदपढमसमयप्पहुडि उवरिमावत्थाए वट्टमाणस्सेदस्स खवगस्स समयपबद्धा भवबद्धा वा केत्तिया उदये असंछुद्धा संभवंति । संभवंताणं तेसि केत्तिएसु टिदिविसेसेसु अणुभागभेदेसु अवट्ठाणं होइ ति एवंविहस्स अत्थविसेसस्स णिण्णयविहाणटुमोइण्णा । तं जहा–'एगसमयपबद्धा पुण' एवं भणिदे एक्कम्हि समये जेत्तिया कम्मपदेसा बंधमागया एत्ति समूहो एगसमयपबद्धो णाम । तस्स पुण समयभेदसंपण्णाए बहुत्तसंभवो अत्थि त्ति बहुवयणंतणिद्देसो कओ 'एगसमयपबद्धा' ति। अधवा एगेगसमयपबद्धा त्ति विच्छाणिद्देसावलंबणेण बहुवयणणिद्देसो एसो घडावेयव्यो।
६३९९. तदो एवं पयारा एगसमयपबद्धा केत्तिया एदस्स खवगस्स अच्छुत्तसरूवा अस्थि किमेक्को वा, दो वा, तिणि वा एवं गंतूण संखेज्जा असंखेज्जा वा त्ति पढमपुच्छाणिद्देसो। एत्थ प्रकार इतने प्रबन्ध द्वारा तीन मूलगाथाओंका अवलम्बन लेकर गति आदि मार्गणाओंमें पूर्वबद्ध कर्मोंकी इस क्षपकके भजनीय और अभजीयभावकी गवेषणा करके अब सातवीं मूलगाथाका अवतार करते हुए इस सूत्रको कहते हैं
* आगे सातवीं मूलगाथाकी समुत्कीर्तना करते है।
३९७. यथावसरप्राप्त सातवीं मूलगाथाके अर्थको विभाषा करनेके लिए यहाँसे आगे उसकी समुत्कीर्तना करनी चाहिए यह उक्त कथनका तात्पर्य है।
(१४१) एक समयमें बांधे गये कितने कर्मप्रदेश स्थितिके कितने भेदोंमें असंक्षुब्ध रहते हैं, तथा कितने भवबद्ध कर्मप्रदेश स्थितिके कितने भेदोंमें असंक्षुब्ध रहते हैं ॥१९४॥
६३९८. अन्तरकरण क्रियाके सम्पन्न करनेके प्रथम समयसे लेकर उपरिम समयमें विद्यमान इस क्षपकके कितने समयप्रबद्ध तथा कितने भवबद्ध कर्मप्रदेश उदयमें असंक्षुब्धरूपसे सम्भव हैं तथा सम्भव उनका कितने स्थितिभेदोंमें और अनुभागभेदोंमें अवस्थान होता है इस प्रकार इस तरहके अर्थविशेषका निर्णय करनेके लिए यह सातवीं मूलगाथा अवतीर्ण हुई हैं। वह जैसे'एमसमयपबद्धा पुण' ऐसा कहनेपर एक समयमें जितने कर्मप्रदेश बन्धको प्राप्त होते हैं इनके समुहका नाम एक समयप्रबद्ध है। परन्तु उसके समयभेदसे सम्पन्न होनेपर बहुत्व सम्भव है, इसलिए उनका 'एगसमयपबद्धा' इस प्रकार बहुवचनरूपसे निर्देश किया है। अथवा 'एक एक समयप्रबद्ध' इस प्रकार वीप्सानिर्देशके अवलम्बनद्वारा यह बहुवचनरूप निर्देश घटित हो जाता है।
६३९९. इसलिए इस प्रकार कितने एकसमयप्रबद्ध इस क्षपकके अछूते रहते हैं। क्या एक समयप्रबद्ध, दो समयप्रबद्ध या तीन समयप्रबद्ध इस प्रकार जाकर क्या संख्यात समयप्रबद्ध या