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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे $ १२९. किं कारणं ? ओदरमाणस्स सुहुमसांपराइयद्धाए खीणाए अणियट्टिबादरसांपराइयगुणट्ठाणपवेसं मोत्तूण पयारंतरासंभवादो। एवमणियट्टिगुणट्ठाणं पइट्ठस्स पढमसमये चेव लोहसंजलणस्स बंधी आढत्तो । तदो तब्बंधवसेण मोहणीयस्स अणाणुपुव्वीसंकमगओ विसेसो पयदि ति जाणावणट्ठमुत्तरसुत्तणिदेसो
* ताहे चेव सव्वमोहणीयस्स अणाणुपुब्विओ संकमो ।
5 १३०. सव्वस्सेव मोहणीयकम्मस्स आणुपुव्वीसंकमपइण्णा तक्काले चेव विणट्ठा त्ति भणिदं होइ । एदं सत्तिमवेक्खियूण भणिदं । वत्तीए पुण अज्ज वि आणुपुन्विसंकमो चेव, दुविहं लोहं लोहसंजलणम्हि णियमा संकामेयाणयस्स पयारंतरसंमवाणुवलंभादो । णवरि समाणजादीयबंधपयडिसंभवे लोहसंजलणस्स वि एत्थ संकमसंभवी जादो त्ति एवंविहसंभवमस्सियूण अणाणुपुव्विसंकमो एत्थ भणिदो । जइ वि एवं सहुमसांपराइयपढमसमयप्पहुडि चेव मोहणीयस्साणाणुपुव्वीसंकमो त्ति किण्ण परूविदो १ ण, तत्थ मोहणीयस्स बंधाभावेण संकमसत्तीए अच्चतमणुवलंभादो।
* ताहे चेव दुविहो लोहो लोहसंजलणे संछुहादि । ६१३१. कुदो ? तम्हि समए लोहसंजलणस्स बंधपरांभईसणादो।
$ १२९. क्योंकि उतरने वालेका सूक्ष्मसाम्परायिकके कालके क्षीण हो जानेपर अनिवृत्तिबादरसाम्परायिक गुणस्थानमें प्रवेशको छोड़कर और दूसरा प्रकार असम्भव है। इस प्रकार अनिवृत्तिकरण गुणस्थानमें प्रविष्ट हुए जीवके प्रथम समयमें ही लोभसंज्वलनका बन्ध प्रारम्भ हो जाता है। इसलिए उसके बन्धके सम्बन्धसे मोहनीय कर्मका अनानुपूर्वी संक्रमगत विशेष प्रवृत्त होता है इस बातका ज्ञान करानेके लिए आगेके सूत्रका निर्देश करते हैं
* उसी समय समस्त मोहनीय कर्मका अनानुपूर्वीसंक्रम होने लगता है।
5 १३०. सम्पूर्ण मोहनीय कर्मके अनानुपूर्वीसंक्रमकी प्रतिज्ञा उसी समय नष्ट हो जाती है यह उक्त कथनका तात्पर्य है। यह शक्तिकी अपेक्षा कहा है, व्यक्त होनेकी अपेक्षा तो अभी भी आनुपूर्वी संक्रम ही प्रवृत्त रहता है, क्योंकि दो प्रकारके लोभका नियमसे लोभसंज्वलनमें संक्रम करनेवाले जीवके प्रकारान्तर सम्भव नहीं है। इतनी विशेषता है कि समान जातीय बन्ध प्रकृतिका सम्भव होनेपर यहाँ लोभसंज्वलनका भी संक्रम सम्भव हो जाता है इस प्रकारके सम्भवको अपेक्षा अनानुपूर्वी संक्रम यहाँपर कहा है।
__ शंका-यदि ऐसा है तो सूक्ष्मसाम्परायके प्रथम समयसे लेकर ही अनानुपूर्वी संक्रम क्यों नहीं कहा?
___ समाधान-नहीं, क्योंकि वहाँपर मोहनीयका बन्ध न होनेसे संक्रमकी शक्तिका सर्वथा अभाव है।
* उसी समय दो प्रकारका लोभ लोभसंज्वलनमें संक्रमित होता है । ६१३१. क्योंकि उसी समय लोभसंज्वलनके बन्धका प्रारम्भ देखा जाता है।