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________________ उववमसेढीए पडिवदमाणस्स परूवणा सुहावगमा होदि त्ति पच्छा सुत्तविहासा कायव्वा त्ति वुत्तं होदि । तदो परूवणाविहासाए ताव पयदमिदि पदुप्पायणपरमुवरिमसुत्तं * परूवणाविहासा। 5 १०३. सुगमं । * तं जहा। ६१०४. एदं पि सुगमं । * दुविहो पडिवादो-भवक्खएण च उवसामणक्खएण च । $ १०५. सो खलु पडिवादो दुविहो होदि--भवक्खयणिबंधणो उवसामणक्खयणिबंधणो चेदि । तत्थ भवक्खयणिबंधणो णाम उवसमसेढिसिहरमारुढस्स तत्थेव झीणाउअस्स कालं कादूण कसायेसु पडिवादो। जो उण संते वि आउए उवसामगद्धाक्खएण कसायेसु पडिवादो सो उवसामणक्खयणिबंधणो णाम । तत्थ ताव भवक्खयणिबंधणस्स पडिवादस्स थोववत्तव्वपडिबद्धस्स संखेवेण विहासणं कुणमाणो सुत्तपबंधमुत्तरं भणइ * भवक्खएण पदिदस्स सव्वाणि करणाणि एगसमएण उग्घा. डिदाणि । जाननेके लिए सरल है, इसलिए बादमें सूत्रविभाषा करनी चाहिये गह उक्त कथनका तात्पर्य है । इसलिए सर्वप्रथम प्ररूपणाविभाषा प्रकृत है इस बातका कथन करनेवाला आगेका सूत्र आया है * प्ररूपणाविभाषा प्रकृत है। $ १०३. यह सूत्र सुगम है। * वह जैसे। $ १०४. यह सूत्र भी सुगम है। * भवक्षय और उपशामनाक्षयके मेदसे प्रतिपात दो प्रकारका है। $ १०५. बह प्रतिपात नियमसे दो प्रकारका है-भवक्षयनिमित्तक और उपशामनाक्षयनिमित्तक । प्रकृतमें जो उपशमश्रेणिके शिखरपर आरूढ़ है और जिसकी वहीं आयु समाप्त हो गई है उसके कालगत होकर कषायोंमें गिरनेका नाम भवक्षयनिमित्तक प्रतिपात है। और जो आयुके रहनेपर भी उपशामककालके क्षय होनेसे कषायोंमें गिरता है वह उपशामकक्षयनिमित्तक प्रतिपात है। उनमेंसे स्तोक वक्तव्यसे सम्बन्ध रखनेवाले भवक्षयनिमित्तक प्रतिपातकी सर्व प्रथम संक्षेपसे प्ररूपणा करते हुये आगेके सूत्रप्रबन्धको कहते हैं * भवक्षयसे गिरे हुए जीवके सब करण एक समयमें उद्घाटित हो जाते हैं।
SR No.090226
Book TitleKasaypahudam Part 14
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size40 MB
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