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जयधवला
नपुंसकवेदकी क्षपणा होने के बाद स्त्रीवेदकी प्रथम अर्थमें निबद्ध तीसरी भाष्यगाथाकी क्षपणाके साथ होनेवाले कार्योंका निर्देश २०८ व्याख्या
२३७
द्वितीय मूलगाथाके दूसरे अर्थमें निबद्ध प्रथम तदनन्तर सात नोकषायोंकी क्षपणाके साथ
भाष्यगाथाकी व्याख्या होनेवाले कार्यों का निर्देश
२११ अन्तर करने के बाद छह नोकषायोंका क्रोध दूसरे अर्थमें निबद्ध दूसरी भाष्यगाथाकी संज्वलनमें संक्रम होता है इसका निर्देश २१६
व्याख्या पुरुषवेदके सम्बन्धमें विशेष निर्देश
दूसरी मूलगाथाके तीसरे अर्थमें निबद्ध प्रथम सवेद भागके अन्तिम समयमें छह नोकषायोंकी
भाष्यगाथाकी व्याख्या अन्तिम फालिका पतन होता है इसका तीसरे अर्थमें निबद्ध दूसरी भाष्यगाथाकी निर्देश
२१७ व्याक्या उस समय पुरुषवेदके मात्र एक समय कम दो
तीसरे अर्थमें निबद्ध तीसरी भाष्यगाथाको आवलिप्रमाण नवकबन्ध शेष रहते हैं
व्याख्या
२५० उनका क्रमसे क्रोधसंज्वलनमें संक्रम हो
तीसरे अर्थ में निबद्ध चौथी भाष्य गाथाकी जाता है यह निर्देश २१७ व्याख्या
२५१ तदनन्तर अश्वकर्ण-करण विधि प्रारम्भ होती तीसरे अर्थमें निबद्ध पांचवीं भाष्यगाथाको है इसका निर्देश २१८ व्याख्या
२५२ यहाँ अश्वकर्णकरण विधिको स्थगित करके तीसरे अर्थमें निबद्ध छठी भाष्यगाथाकी क्षपक सम्बन्धी सभाष्य सूत्र गाथाओं की
__ व्याख्या
२५७ व्याख्या करने का निर्देश २१८ तीसरी मूल गाथाकी व्याख्या
२५८ प्रथम सूत्रगाथा और उसकी व्याख्याका उसमें निबद्ध अर्थ में चार भाष्यगाथाओंमेंसे प्रथम निर्देश २१९ भाष्यगाथाकी व्याख्या
२६१ उसकी पांच भाष्यणायामोंके पूर्व भाष्यगाथाका दूसरी भाष्य गाथाकी व्याख्या
२२१ तीसरी " " प्रथम भाष्यगाथाकी व्याख्या २२२ चौथी , ,
२६७ दूसरी भाष्यगाथा की व्याख्या २२३ चौथी मूल गाथाकी ,
२६८ तीसरी , "
२२५ इसकी तीन भाष्यगाथाओंमें से प्रथम भाष्य २२८ गाथाकी व्याख्या
२६९ पांचवीं ॥
२२९ दूसरी भाष्य गाथाकी व्याख्या दूसरी मूलगाथा तीन अर्थो में प्रतिबद्ध है इस तीसरी
२७३ ,
२७५ निर्देशके साथ उसकी व्याख्या २३१ पांचवीं मूलगाथाकी व्याख्या तीन अर्थों का क्रमसे स्पष्टीकरण
२३२ इसमें निबद्ध तीन भाष्य गाथाओंमें से प्रथम प्रथम अर्थमें तीन भाष्यागाथाओंकी सूचना २३२
भाष्य गाथाकी व्याख्या प्रसंगसे अपकर्षण दूसरे अर्थ में दो भाष्यगाथाओं की सूचना २३३ की अतिस्थापना और निक्षेपका निर्देश २७७ तीसरे अर्थ में छह भाष्यगाथाओं की सूचना २३३ दसरी भाष्य गाथामें संक्रम और उत्कर्षणका प्रथम अर्थ में निबद्ध प्रथम भाष्यगाथाकी
निर्देश
२८३ . व्याख्या
२३४ तीसरी भाष्यगाथा द्वारा स्थिति और अनुभागप्रथम अर्थम निबद्ध दूसरी भाष्यगाथाकी
को लक्ष्यमें रखकर अपकर्षणके बाद दूसरे व्याख्या २३५ समयमें होनेवाले कार्योंका निर्देश
२८५
२६३ २६५
अर्थ
चौथी
"
"
२७२