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________________ खवगसेढीए तदियमूलगाहा २५९ * विदियमूलगाहात्ति विहासिदा समत्ता भवदि । एतो तदिय मुलगाहा । $ २६६. एत्तो उवरि तदियमूलगाहा विहासियन्वा ति वुत्तं होइ । * जहा $ २६७. तं जहात्ति भणिदं होदि । एवं च पुच्छाविमईकयाए तदियमूलगाहाए एसो अवयारो (८६) बंधो व संकमो वा उदयो वा तह पदेस - अणुभागे । अधिगो समो व हीणो गुणेण किं वा विसेसेण ॥ १४२ ॥ $ २६८. एसा तदियमूलगाहा बंधसंकमोदयाणमणुभागपदेसविसयाणं संकामणपटुवयम्मि थोरबहुत्तगवेसणट्टमोइण्णा । तं कधं ? 'बंधो वा संकमो वा" बंधो संकमो उदयो वा मोहादिकम्मेसु पयट्टमाणो 'पदेस - अणुभागे' पदेसाणुभागविसयो किं समो वा होणो वा अहियो वा होदि त्ति एसा पढमा पुच्छा । एदिस्से भावत्थोकिमणुभाग बंधविसयबंधसंकमोदया अण्णोणं पेक्खियूण सरिसा विसरिसा वा, विसरिसा वि होंता किमण्णदरं पेक्खियूण सेसा अहिया हीणा वा होंति । एवं पदेस * दूसरी मूलगाथाकी विभाषा समाप्त होती है । इससे आगे तीसरी मूल गाथा है । तात्पर्य है । $ २६६. इससे आगे तीसरी मूलगाथाकी विभाषा करनी चाहिये यह उक्त कथनका * जैसे । $ २६७. ‘वह जैसे' यह उक्त कथनका तात्पर्य है । इस प्रकार पृच्छाकी विषय की गई तीसरी मूलगाथाका अवतार करते हैं (८९) संक्रामक प्रस्थापक जीवके प्रदेश और अनुभाग विषयक बन्ध, संक्रम क्या और उदय अधिक होते हैं, क्या समान होते हैं या क्या हीन होते हैं । तथा प्रदेश और अनुभागविषयक ये बन्ध, संक्रम और उदय परस्पर गुणकाररूपसे क्या अधिक या हीन होते हैं अथवा संख्यात, असंख्यात और अतन्तभागप्रमाण विशेषरूपसे हीन या अधिक होते हैं ।। १४२ ॥ $ २६८. यह तीसरी मूलगाथा संक्रामणप्रस्थापक जीवके अनुभाग और प्रदेशविषयक बन्ध, संक्रम और उदयके अल्पबहुत्वका अनुसन्धान करनेके लिये आई है, वह कैसे ? मोहादि कर्मों में प्रवृत्त होता हुआ 'पदेस - अणुभागे' प्रदेश और अनुभागविषयक 'बंधो वा संकमो वा' बन्ध, संक्रम और उदय क्या समान है या हीन है या अधिक है इस प्रकार यह पहली पृच्छा है ? इसका भावार्थ - क्या अनुभागबन्धविषयक बन्ध, संक्रम और उदय परस्परकी अपेक्षा सदृश होते हैं या विदृश ? विदृश होते हुए क्या किसी एककी अपेक्षा विशेष अधिक होते हैं या विशेष हीन होते
SR No.090226
Book TitleKasaypahudam Part 14
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatvarshiya Digambar Jain Sangh
Publication Year2000
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Karma, & Religion
File Size40 MB
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