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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
आवलियमेत्तकालब्भंतरे तहा चेव तप्पबुतिदंसणादो । 'माणकसाये कमो सेसे' एवं भणिदे माणकसायसं कामणपटुवगस्स संधीए जहा एसो णवकबंधसमयपबद्धाणं संकामणक्कमो परूविदो एवं सेसकसायाणं पि संकामणपट्टवगस्स संधीए परूवेयव्वो ति वुत्तं होइ । तदो माणं वेदेतो कोहसंजलणस्स दुसमयूणदोआवलियमेत्तणवकबंधं संकामेदि. मायं वेर्देतो. माणसंजलणस्स णवकबंधं संकामेदि, लोभं च वेदेमाणो मायासंजलणस्स णवकबंधं संकामेदित्ति एसो एदस्स गाहासुत्तस्स समुदायत्थो । संपहि एदिस्से भासगाहाए विहासणट्ठमिदमाह - * विहासा ।
$ २६३. सुगमं ।
२५८
* जहा ।
$ २६४. सुगमं ।
* माणकसायस्स संकामगपट्टवगो माणं चेव वेदेंतो कोहस्स जे दोआवलियबंधा दुसमयणा माणे संछुहृदि ।
$ २६५. गयत्थमेदं सुत्तं । एवमेदाहिं एक्कारसमासगाहाहिं तिसु अत्थेसु पडिबद्धाहिं विदियमूलगाहाविहासं समाणिय पयदत्थमुवसंहरेमाणो इदमाह
उसी प्रकार उसकी प्रवृत्ति देखी जाती है । माणकसाये कमो सेसे' ऐसा कहनेपर मानकषायके संक्रामणप्रस्थापक सन्धिकालमें जिस प्रकार यह नवकबन्धके समयप्रबद्धोंके संक्रामणका क्रम कहा है इसी प्रकार शेष कषायोंके भी संक्रामणप्रस्थापकके सन्धिकालमें प्ररूपण करना चाहिये यह उक्त कथनका तात्पर्य है । इसलिए मानका वेदन करते हुए क्रोधसंज्वलनके दो समय कम
आवलिप्रमाण नवकबन्धको मानसंज्वलनमें संक्रमित करता है । मायाका वेदन करते हुए मानसंज्पलनके नवकबन्धको मायामें संक्रमित करता है, तथा लोभका वेदन करनेवाला जीव मायासंज्वलनके नवकबन्धको लोभ संज्वलनमें संक्रमित करता है इस प्रकार गाथासूत्रका यह समुच्चयरूप अर्थ है । अब इस छटी भाष्यगाथाकी विभाषा करनेके लिए आगेके सूत्रको कहते हैं* अब उक्त गाथासूत्रकी विभाषा करते हैं ।
$ २६३. यह सूत्र सुगम है ।
* जैसे ।
$ २६४. यह सूत्र सुगम है ।
* मानकषायका संक्रामकप्रस्थापक जीव मानकषायका ही वेदन करते हुए क्रोधसंज्वलन के जो दो समय कम दो आवलिप्रमाण नवकबन्ध हैं उन्हें मानसंज्वलनमें संक्रमित करता है ।
$ २६५. यह सूत्र गतार्थ है । इस प्रकार तीन अर्थोंमें प्रतिबद्ध इन ग्यारह भाष्यगाथाओं द्वारा दूसरी मूलगाथाकी विभाषा समाप्त करके प्रकृत अर्थका उपसंहार करते हुए आगे इस सूत्र को कहते हैं—