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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे वाचओ तेण ट्ठिदिखंडयपुधत्ताणं बहुवाणं गहणं कायव्वं, अण्णहा सत्तणोकसायक्खवणकालभंतरे संखेज्जसहस्समेत्ताणं' द्विदिखंडयाणमणुप्पत्तिप्पसंगादो। एवमेदम्मि विसये तिण्हं धादिकम्माणं विदिसंतकम्मे संखेज्जवस्सपमाणत्तेण परिणदे एत्तो प्पहुडि घादिकम्माणं सव्वेसिमेव द्विदिबंधो द्विदिखंडयं च संखेज्जगुणहाणीए चेव पयदि त्ति जाणावेमाणो सुत्तमुत्तरं भणइ
® तदो पाए घादिकम्माणं ट्ठिदिबंधे ट्ठिदिखंडए च पुण्णे पुण्णे ट्ठिदिबंध-हिदिसंतकम्माणि संखेजगुणहीणाणि ।
१४५. संखेज्जवस्सिये द्विदिवंध-ट्ठिदिसंतकम्मे च जादे तव्विसयाणं हिदिबंधोसरणद्विदिखंडयाणं च संखेज्जगुणहाणीए चेव पवुत्ती होइ, णाण्णहा त्ति वुत्तं होइ । एवं धादिकम्मावेक्खाए परूविदं । अघादिकम्माणं पुण द्विदिबंधो चेव संखेज्जगुणहीणो होदूण पयदि, ण हिदिसंतकम्ममिदि जाणावेमाणो सुत्तमुत्तरं भणइ--
___ *णामा-गो-दवेदणीयाणं पुण्णे ट्ठिदिखंडए असंखेजगुणहीणं ट्ठिदिसंतकम्म।
* एदेसिं चेव हिदिबंधे पुण्णे अण्णो हिदिबंधो संखेजगुणहीणो । निर्देश यतः वैपुल्यवाची है अत: बहुत स्थितिकाण्डकोंको ग्रहण करना चाहिये, अन्यथा सात नोकषायोंके क्षपणाकालके भीतर संख्यात हजार स्थितिकाण्डकोंकी अनुत्पत्तिका प्रसंग प्राप्त होता है। इस प्रकार इस स्थानमें तीन घातिकर्मोंका स्थितिसत्कर्म संख्यात वर्षप्रमाणरूपसे परिणत होनेपर यहाँसे लेकर सभी घातिकर्मोंका स्थितिबन्ध और स्थितिकाण्डक संख्यात गुणहानिरूपसे ही प्रवृत्त होता है इस बातका ज्ञान कराते हुए आगेके सूत्रको कहते हैं___यहाँसे लेकर घातिकर्मोंके स्थितिबन्ध और स्थितिकाण्डकके पुनः पुनः पूर्ण होनेपर स्थितिबन्ध और स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणे हीन होते हैं।
$ १४५. संख्यात वर्षप्रमाण स्थितिबन्ध और स्थितिसत्कर्मके हो जानेपर तद्विषयक स्थितिबन्धापसरण और स्थितिकाण्डकोंकी संख्यात गुणहानिरूपसे ही प्रवृत्ति होती है, अन्य प्रकारसे नहीं यह उक्त कथनका तात्पर्य है। यह घातिकर्मोंकी अपेक्षा कथन किया। परन्तु अघातिकर्मोंका तो स्थितिबन्ध ही संख्यातगुणा हीन होकर प्रवृत्त होता है, स्थितिसत्कर्म नहीं इस बातका ज्ञान कराते हुए आगेका सूत्र कहते हैं
* नाम, गोत्र और वेदनीयकर्मके स्थितिकाण्डकके पूर्ण होनेपर स्थितिसत्कर्म असंख्यातगुणा हीन होता है।
* इन्हीं कर्मोंका स्थितिबन्ध पूर्ण होनेपर अन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा हीन होता है।
१. ता०प्रती संखेज्जवस्ससहस्समेत्ताणं इति पाठः । २. आ०प्रतौ -हीणाओ इति पाठः ।