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उवसमसेढीए अप्पाबहुअपरूवणा
१३१ * कोहस्स पढमहिदी विसेसाहिया ।
६३१६. केत्तियमेत्तेण ? किंचूणतिभागमेत्तेण । कुदो ? कोहोवसामणद्धाए वि एत्थ पवेसदसणादो।
* मोहणीयस्स उवसामणद्धा विसेसाहिया । $ ३१७. केत्तियमेत्तेण ? माणमायालोभाणमुवसामणद्धामेत्तेण । - * पडिवदमाणगस्स जाव असंखेज्जाणं समयपबद्धाणमुदीरणा सो कालो संखेजगुणो।
३१८. किं कारणं ? हेट्ठा णिवदमाणसुहुमसांपराइयमादि कादण अंतरकरगुद्दे सादो हेट्ठा वीरियंतरायादीणि बारसकम्माणि सव्वघादीणि कादूण पुणो वि जाव संखेज्जाणि द्विदिबंधसहस्साणि गच्छंति ताव एत्तियमेत्तकालं पडिवदमाणगस्स असंखेज्जाणं समयपबद्धाणमुदीरणा भवदि तेणेसो संखेज्जगणो जादो, अंतरकरणादिउपरिमसेसद्धाणं पेक्खियण संखेज्जगुणस्स हेडिमद्धाणस्स पहाणभावेणेत्थ विवक्खियत्तादो।
* उवसामगस्स असंखेनाणं समयपषद्धाणमुदीरणाकालो विसेसाहिओ। उससे कुछ कम द्वितीय भागरूपसे इसकी विशेष अधिक भावको स्पष्टरूपसे उपलब्धि होती है ।
* क्रोधकी प्रथम स्थिति विशेष अधिक है। ६३१६. शंका-कितनी अधिक है ?
समाधान-कुछ कम तृतीय भागप्रमाण अधिक है, क्योंकि इसमें क्रोधके उपशामनाकालका भी प्रवेश देखा जाता है।
* मोहनीयकर्मका उपशामनाकाल विशेष अधिक है। $ ३१७. शंका-कितना अधिक है ? समाधान-जितना मान, माया और लोभका उपशामनाकाल है उतना अधिक है।
* गिरनेवाले जीवके जबतक असंख्यात समयप्रबद्धोंकी उदीरणा होती है तबतकका वह काल संख्यातगुणा है।
३१८. क्योंकि नीचे गिरनेवाले सूक्ष्मसाम्परायिक जीवसे लेकर अन्तरकरणरूप स्थानसे नीचे वीर्यान्तराय आदि बारह कर्मोको सर्वघाति करके फिर भी जबतक संख्यात हजार स्थितिबन्ध जाते हैं तबतक अर्थात् इतने कालपर्यन्त गिरनेवालेके असंख्यात समयप्रबद्धोंकी उदीरणा होती है इसलिये यह काल संख्यातगुणा हो जाता है, क्योंकि अन्तरकरण आदि उपरिम समस्त कालोंको देखते हुए संख्यातगुणा अधस्तनकाल प्रधानरूपसे यहाँपर विवक्षित है।
* उपशामकके असंख्यात समयप्रबद्धोंका उदीरणाकाल विशेष अधिक है ।