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विषय
विषय
पृ. सं. इन सब कर्मोंका ऊपर समस्थिति अन्तर
नोकषायोंके उपशान्त होने पर होता है और नीचे विषम स्थिति
किस कर्मका कितना स्थितिबन्ध अन्तर होता है इसका खुलासा २५४ | होता है इसका निर्देश अन्तर करण करते समय स्थितिबन्ध आगाल और प्रत्यागाल कब व्युच्छिन्न आदिका विचार
२५५ होते है इसका निर्देश अन्तरकरण क्रिया कितने कालमें समाप्त अन्तरकरण होनेके बाद छह नोकषायों
होती है इसका अन्य बातोंके साथ ___ का द्रव्य पुरुषवेदमें संक्रमित नहीं निर्देश
२५६ होता किन कर्मोकी अन्तरकी स्थितियोंके अवेद भागके प्रथम समय में पुरुषवेदका . प्रदेशपुंज का किस विधिसे अन्यत्र
जितना द्रव्य अनुपशान्त रहता है निक्षेप होता है इसका निर्देश २५६
उसका निर्देश अन्तरकरण क्रियाके समाप्त होने पर जो पुरुषवेदके अनुपशान्त प्रदेशपुंजके उपसात करण युगपत् आरम्भ होते हैं
शमाने और संक्रमित होने के क्रमका उनका निर्देश
२६३
___ निर्देश यहाँसे बन्धप्रकृतियों की छह आवलि
| अवेदभागके प्रथम समयमें किस कर्मका बाद उदीरणा क्यों होती है इसका
कितना स्थितिबन्ध होता है इसका
विचार कल्पित उदाहरण द्वारा समर्थन २६५
आगे तीन क्रोधोंके उपशमाने को प्रक्रिया अन्तरकरण करनेके अनन्तर सर्वप्रथम
के निर्देशके साथ अन्य बातों का नपुंसक वेदके उपशमाने का निर्देश २७२ |
खुलासा
२९० उक्त कार्यके चालू रहते स्थितिबन्ध किस
संज्वलन क्रोधकी समयाधिक आवलि .प्रकार होता है इसका निर्देश
प्रमाण स्थितिके शेष रहने पर किस अनन्तर स्त्रीवेदके उपशमाने का निर्देश २७८ इस कार्यके चालू रहते कर्मोंका स्थिति
कर्मका कितना स्थितिबन्ध होता
है इसका विचार बन्ध किस प्रकार होता है इसका
२९२
क्रोध संज्वलनके दो समय कम दो निर्देश
आवलिप्रमाण नवकबन्ध तीनों इस स्थल पर स्थितिबन्धसम्बन्धी अल्प
क्रोधोंके उपशान्त होने के बादमें बहुत्वका निर्देश
उपशान्त होते हैं इस बातका निर्देश २९३ स्त्रीवेदका उपशम होने पर सात नोक
क्रोधसंज्वलनको प्रथमस्थितिमें तीन कषायोंके उपशमानेका निर्देश २८२ आवलि शेष रहने तक ही दो क्रोध इस अवस्थामें स्थितिकाण्डक आदिका
उसमें संक्रमित होते हैं उसके बाद विचार
२८२
नहीं इस तथ्यका निर्देश २९३ सात नोकषायोंके उपशमकालके संख्यातवें क्रोधसंज्वलनकी प्रथम स्थितिमें एक भागके जाने पर किनकर्मोका
समय कम एक आवलि शेष रहने कितना स्थितिबन्ध होता है इसके
पर उसकी बन्ध और उदयव्युच्छित्ति निर्देश के साथ एतद्विषयक अल्प
हो जाती है इस तथ्य का निर्देश २९५ बहुत्वका निर्देश
२८३ | उसी समय मानसंज्वलन की प्रथम स्थितिपुरुषवेदके एक समय कम दो आवलि
का कारक और वेदक होता है इस प्रमाण नवकबन्धको छोड़कर सात
बातका निर्देश
२९५
२८०
२८१