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( ३७ ) पृ. सं.
२४४
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२६
विषय
विषय
पृ. सं. अपूर्वकरणके अन्तिम समयमें स्थिति
का निर्देश
२४० काण्डक आदि एक साथ समाप्त होते पुनः उक्त विधिसे प्राप्त अन्य अल्पबहुत्व . हैं इसका निर्देश
२२८ |
का निदेश उसी समय हास्य, रति, भय और
२४२ जुगुप्साकी बन्ध व्युच्छित्ति होती है यहाँ अन्य कर्मोंकी अपेक्षा मोहनीयकर्मइसका निर्देश
२२८
का स्थितिबन्ध युगपत् कितना घट उसी समय छह नोकषायोंकी उदय
जाता है इसका सकारण निर्देश । २४३ ___ व्युच्छित्ति होती है इसका निर्देश २२८ | इस अवस्थामें प्राप्त एतद्विषयक अल्पअनिवृत्तिकरणके प्रथम समयमें स्थिति
बहुत्वका निर्देश काण्डक आदिका प्रमाण निर्देश
पुनः उक्त विधिसे प्राप्त अन्य अल्पबहुत्वउसी समय सभी कर्मोंके अप्रशस्त्र उप
का निर्देश
२४५ शामनाकरण आदिको ब्युच्छित्तिका निदेश
२४७ वहीं आयुकर्मके सिवाय शेष कर्मोंके
उक्त विधिसे स्थितिबन्ध घटते हए जब ___स्थितिसत्कर्म के प्रमाणका निर्देश २३१
सब कर्मोका पल्योपमके असंख्यातवें वहीं होनेवाले स्थितिबन्धके प्रमाणका
भागप्रमाण होता है तब आगे निदेश
२३२
उदीरणा कितनी होती है इसका पुनः आगे कब कितना स्थितिबन्ध रहता
निर्देश
२४९ है इसका निर्देश
२३२ | आगे उत्तरोत्तर संख्यात हजार स्थितितत्पश्चात् कब किस कर्मका कितना
बन्धापसरण होने पर किन कर्मोंका ___स्थितिबन्ध रहता है इसका निर्देश २३२ किस क्रमसे देशघातिकरण होता है इस अवस्थामें स्थितिबन्धमें अपसरण
इसका निर्देश
२४९ कितना होता है इसका निर्देश २३५ | इसके पहले संसार अवस्थामें इन कर्मोंका नाम-गोत्रका पल्योपमप्रमाण स्थितिबन्ध
___ कैसा बन्ध होता रहा इसका निर्देश २५२ होने पर तदन्तर संख्यातगुणा हीन
प्रकृतमें उपयोगी अल्पबहुत्वका निर्देश २५२ . स्थितिबन्ध होता है इसका निर्देश २३५ | तत्पश्चात् संख्यात हजार स्थितिबन्धापरन्तु शेष कर्मोंके स्थितिबन्धमें अप
पसरण होने पर अन्तरकरण करता सरण पूर्वोक्त ही होता है इसका
है इसका निर्देश सकारण निर्देश
२३६ | बारह कषाय और नो नोकषायोंका आगे किस कर्ममें किस विधिसे स्थिति- ___ अन्तरकरण करता है इसका निर्देश २५३
बन्धका अपसरण होता है इसका | जिस संज्वलन तथा जिसवेदका उदयहोता खुलासा
२३६ । है उसकी अन्तर्मुहर्त प्रमाण प्रथम आयुकर्मको छोड़कर शेष कर्मोंका स्थिति
स्थिति करता है इसका निर्देश २५३ बन्ध पल्योपत्रके संख्यातवें भाग अन्तरके लिए कितनी स्थितियोंको ग्रहण प्रमाण कब होता है इसका निर्देश २३८ । __करता है इसका निर्देश
२५४ प्रकृतमें उपयोगी अल्पबहुत्वका निर्देश २३९ शेष ११ कषाय और ८ नोककषायों की पश्चात् हजारों स्थितिबन्धापसरण होने
आवलिप्रमाण प्रथम स्थिति करता पर एतद्विषयक उपयोगी अल्पबहुत्व
है इसका निर्देश
२५२
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