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गाथा १२३ ] चरित्तमोहणीय-उवसामणाए गाहासुत्तणिदेसो
१९५ ६८. एदेण छट्ठगाहासुत्तेण पुविन्लगाहाए पुव्वद्धणिबद्धाणं दोण्हं पुच्छाणमत्थणिण्णओ कओ दट्ठव्वो, पडिवादस्स दुविहत्तपरूवणाए सुहुमबादरलोभकसायविसयपडिवादस्स च एदिस्से गाहाए पुव्व-पच्छद्धेसु पडिबद्धस्स परिप्फुडमुवलंभादो । (६९) उवसामणाखएण दु पडिवदिदो होइ सुहुमरागम्हि ।
बादररागे णियमा भवक्खया होइ परिवदिदो ॥१२२॥ १९. एसा वि सत्तमी गाहा उवसामणद्धाखएण जो पडिवादो सो णियमा सुहुमसांपराइयो होइ । भवक्खयणिबंधणो पुण पडिवादो णियमा बादरकसाये होदि त्ति पुग्विल्लगाहासुत्तणिहिट्ठस्सेवत्थविसेसस्स परूवणट्ठमवइण्णा । एदिस्से अवयवत्थपरूवणा सुगमा । (७०) उवसामणाक्खएण दु अंसे बंधदि जहाण पुचीए ।
एमेव य वेदयदे जहाणुपुत्वीय कम्मंसे । (८)॥१२३॥
१०. भवक्खएण परिवदिदस्स देवेसुप्पण्णपढमसमये अक्कमेण सव्वाणि करणाणि उग्धादिजंति, ण तत्थ किंचि वत्तव्वमत्थि । जो वुण उवसामणद्धाक्खएण पडिवदिदो सो जाए आणुपुव्वीए पुव्वं चडमाणावत्थाए बंधवोच्छेदं कादूणागदो ताए चेवाणुपुबीए जहाकम लोहसंजलणादिकम्मंसे बंधइ तहा चेव पच्छाणुपुव्वीए उदय
६८. इस छटे गाथासूत्रद्वारा पिछली गाथाके पूर्वार्धमें निबद्ध दो पृच्छासम्बन्धी अर्थका निर्णय किया गया जानना चाहिए, क्योंकि प्रतिपातकी दो प्रकारकी प्ररूपणा तथा सूक्ष्म लोभकषाय और बादर लोभकषायमें प्रतिपात ये दो अर्थ इस गाथाके पूर्वार्ध और उत्तरार्धमें प्रतिबद्ध हैं यह स्पष्ट उपलब्ध होता है।
उपशामनाके क्षयसे यह जीव सूक्ष्म रागमें गिरता है और भवक्षयसे नियमसे वादर रागमें गिरता है ।।१२२।।
६९. यह सातवीं गाथा भी उपशामनाकालके अयसे जो प्रतिपात होता है वह नियम से सूक्ष्मसाम्परायमें होता है, परन्तु भवक्ष्यनिमित्तक जो प्रतिपात होता है वह नियमसे बादरकषायमें होता है इस पूर्व गाथासूत्रमें निर्दिष्ट अर्थविशेषके ही कथन करनेके लिये आई है। इसके अवयवार्थकी प्ररूपणा सुगम है।
उपशामनाके क्षय होनेसे गिरनेवाला जीव यथानुपूर्वी कर्मप्रकृतियोंको बाँधता है और इसी प्रकार यथानुपूर्वी कर्मप्रकृतियोंका वेदन करता है (८) ॥१२३।।
६ १०. भवक्षयसे गिरनेवाले जीवके देवोंमें उत्पन्न होनेके प्रथम समयमें युगपत् सभी करण प्रकट हो जाते हैं, इस विषयमें कुछ वक्तव्य नहीं है। परन्तु जो उपशामनाकालके क्षयसे गिरता है वह जिस आनुपूर्वीसे पहले चढ़नेकी अवस्थामें वन्धव्युन्छित्ति करके आया है उसी आनुपूर्वीसे यथाक्रम लोभसंज्वलन आदि प्रकृतियोंका बन्ध करता है तथा उसी प्रकार