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जयधवला सहिदे कसायपाहुडे
[ संजमासंजमलद्धी
$ ३१ एवमेदेसु सवित्थरमणुमग्गिय समत्तेसु तदो संजमलद्धिविसयमेव परूवणंतरमाढवेमाणो सुत्तपबंधमुत्तरं भणइ -
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* लद्धीए तिब्वमंददाए सामित्तमप्पाबहु च । $ ३२. संजमलद्धी दुविहा- जहणिया उकस्सिया च । तत्थ जहणिया मंदा, कसायाणं तिव्वाणुभागोदय जणिदजहण्णलद्धीए मंदभावोवत्तीदो । उक्कस्सिया लद्धी तिव्वा, कसायाणं मंदयराणुभागोदयणिबंधणत्तादो । खीणोवसंतमोहेसु सव्वुकस्सचरिमलद्धीए गहणं किण्ण कीरदे ? ण, सामाइय-च्छेदोवट्ठाणियाणमुक्कस्सचरितली इहाहियारवसेण गहणादो । तदो दोन्हमेदासि लद्धीणं तिव्वमंददाए जाणावदुमेत्थ परूवणापुव्वं सामित्तमप्पा बहुअं च कायव्वमिदि एदेण सुत्तेण अत्थसमप्पणा कया हो ।
स्थापनाशुद्धिसंयत, परिहारशुद्धिसंयत और सूक्ष्मसाम्परायशुद्धिसंयतों का क्षेत्र और स्पर्शन अपने-अपने सम्भव पदोंकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण है । संयत और यथाख्यातविहारशुद्धिसंयतका क्षेत्र और स्पर्शन केवलिसमुद्घातको छोड़कर सम्भव अपने-अपने पदोंकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं तथा केवलिसमुद्घातकी अपेक्षा लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण, असंख्यात बहुभागप्रमाण और सर्व लोकप्रमाण है । भागाभाग — उक्त सब संयत सब जीवोंके अनन्तवें भागप्रमाण हैं । भागाभागका परस्पर विशेष विचार अल्पबहुत्वको जान कर साध लेना चाहिए । अल्पबहुत्व - सूक्ष्मसाम्परायशुद्धिसंयत सबसे थोड़े हैं । उनसे परिहारशुद्धिसंयत संख्यातगुणे हैं। उनसे यथाख्यातविहारशुद्धिसंयत संख्यातगुणे हैं। उनसे सामायिकछेदोपस्थापनाशुद्धिसंयत ये दोनों परस्पर तुल्य होकर संख्यातगुणे हैं । उनसे संयत विशेष अधिक हैं । यह ओघप्ररूपणा है। आदेशसे इसी बीजपदके अनुसार विचार कर लेना चाहिए ।
$ ३१. इस प्रकार इन अनुयोगद्वारोंके विस्तार के साथ विचार समाप्त होने पर तत्पश्चात् संयमलब्धिविषयक ही दूसरी प्ररूपणाका आरम्भ करते हुए आगे के सूत्रप्रबन्धको कहते हैं
* चारित्रलब्धिकी तीव्रता और मन्दताके विषय में स्वामित्व और अल्पबहुत्व ज्ञातव्य हैं ।
$ ३२. संयमलब्धि दो प्रकारकी है - जघन्य और उत्कृष्ट । उनमें से जघन्य संयमलब्धि मन्द है, क्योंकि कषायोंके तीव्र अनुभागके उदयसे उत्पन्न हुई जघन्य लब्धिका मन्दपना बन जाता है । उत्कृष्ट संयतलब्धि तीव्र है, क्योंकि वह कषायोंके मन्दतर अनुभागके उदयके निमित्तसे उत्पन्न होती है ।
शंका- क्षीणमोह और उपशान्तमोह जीवोंमें सबसे उत्कृष्ट अन्तिम लब्धिका ग्रहण क्यों नहीं करते ?
समाधान -- नहीं, क्योंकि सामायिक छेदोपस्थापनाशुद्धिसंयतोंकी चारित्रलब्धिका यहाँ पर अधिकारवश ग्रहण किया है ।
इसलिये इन दोनों लब्धियोंकी तीव्रता और मन्दताका ज्ञान करानेके लिये यहाँ पर