________________
१५६
जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [संजमासंजमलद्धी वि ण वेदेज तो संजमासंजमलद्धी खइया चेव होज, खइयसमाणा एयवियप्पा चेव हवेज चारित्तपडिबंधीणं कम्माणमेत्थ संताणं पि णिकारणत्तदंसणादो ति । ण पुणो एस संभवो, चदुसंजलण-णवणोकसायाणं देसघादिसरूवेणुदयपरिणामम्स तत्थवस्संभावित्तादो । तदो खओवसमिया चेव संजमासंजमलद्धी असंखेजलोयमेयभिण्णा एत्थ पडिवजेयव्वा त्ति सिद्धं । एत्थ उवसंहरेमाणो सुत्तमुत्तरमाह
* एक्केण वि उदिण्णेण खओवसमलद्धी भवदि । ___ १११. चदुसंजलण-णवणोकसायाणमण्णदरेण वि कम्मेणुदिण्णेण खओवसमियलद्धी चेव एसा होइ, किं पुण तेसिं सव्वेसिमेवेत्युदयसंभवे खओवसमिया ण होज ? णिच्छएण खओवसमिया चेव संजमासंजमलद्धी होदि ति एसो एदस्स भावत्थो।
लद्धी च संजमा जमस्से त्ति समत्तमणिओगद्दारं ।
aaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaaa
भी वेदन न करे तो संयमासंयमलब्धि झायिक ही हो जाय, क्षायिकभावके समान एक विकल्पवाली ही हो जाय, क्योंकि चारित्रका प्रतिबन्ध करनेवाले कर्मोंके यहाँपर रहते हुए भी ऐसी अवस्था में उनका निष्कारणपना देखा जाता है। परन्तु यह सम्भव नहीं है, क्योंकि चार संज्वलन और नौ नोकषयोंका देशघातिरूपसे उदयपरिणाम वहाँ अवश्यंभावी है। अतएव क्षायोपशमिक ही संयमासंयमलब्धि असंख्यात लोकप्रमाण भेदवाली यहाँपर जाननी चाहिए यह सिद्ध हुआ। अब यहाँपर उपसंहार करते हुए आगेके सूत्रको कहते हैं
* अतः एकका भी उदय होनेसे क्षयोपशमलब्धि होती है।
$ १११. चार संज्वलन और नौ नोकषायोंमेंसे एक भी कर्मके उदयसे यह क्षायोपशमिक लब्धि ही है, तो क्या उन सबका यहाँ उदय सम्भव होनेपर वह क्षायोपशमिक नहीं होगी, संयमासंयमलब्धि निश्चयसे क्षायोपशमिक ही होती है यह इस सूत्रका भावार्थ है ।
विशेषार्थ-संयमासंयमलब्धि औदयिक आदि भावोंमेंसे कौनसा भाव है ऐसी आशंका होनेपर उसका समाधान करते हुए यहाँ बतलाया गया है कि अप्रत्याख्यानावरणचतुष्ककी उदयशक्तिका यहाँपर अत्यन्त विनाश देखा जाता है, अतः इसका उदय न होनेसे तो वह औदयिक है नहीं, यद्यपि प्रत्याख्यानावरणचतुष्कका यहाँपर उदय है पर उदयस्वरूप वे संयमका घात करनेवाली प्रकृतियाँ हैं, उनके उदयसे संयमासंयमगुणका न तो घात ही होता है और न कुछ उपकार ही होता है। तथा अनन्तानुबन्धीचतुष्ककी उदयव्युच्छित्ति नीचेके गुणस्थानों में ही हो जाती है। अतएव यहाँपर चार संज्वलन और नौ नोकषायोंके सर्वघातिस्पर्धकोंका उदयक्षय होनेसे तथा उन्हींके देशघातिस्पर्घकोंका उदय होनेसे क्षायोपशमिक भाव जानना चाहिए।
इस प्रकार संयमासंयमलब्धिनामक बारहवाँ अर्थाधिकार समाप्त हुआ।