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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [संजमार्सजमलद्धी संखेज्जसहस्समेत्तट्ठिदिखंडयगुणहाणीओ हेट्ठा ओसरियूणापुव्वकरणपढमसमये जादं । तदो संखेज्जगुणत्तमेदस्स सिद्धं १२।
* पलिदोवमं संखेजगुणं । $ ६४. सुगमं १३॥ * उक्कस्सयं हिदिखंडयं संखेजगुणं । 5६५ कुदो ? सागरोवमपुधत्तपमाणत्तादो १४। . * जहण्णओ हिदिबंधो संखेजगुणो।
5 ६६. किं कारणं ? एयंताणुव ड्डिचरिमसमए अंतोकोडाकोडिमेत्तजहण्णद्विदिबंधस्स गहणादो १५।
* उक्कस्सओ हिदिबंधो संखेजगुणो। $ ६७. कुदो ? अपुव्वकरणपढमसमयठिदिबंधस्स गहणादो १६। * जहएणयं डिदिसंतकम्मं संखेजगुणं ।
६८. एयंताणुवड्डिकालचरिमसमयम्मि जहण्णट्ठिदिसंतकम्मस्स विवक्खियत्तादो १७। काण्डकसे संख्यात हजार स्थितिकाण्डक गुणहानियाँ नीचे सरक कर यह अपूर्वकरणके प्रथम समयमें प्राप्त हुआ है, इसलिए यह संख्यातगुणा सिद्ध होता है १२ ।
* उससे पल्योपम संख्यातगुणा है। $ ६४. यह सूत्र सुगम है १३ । * उससे उत्कृष्ट स्थितिकाण्डक संख्यातगुणा है । ६ ६५. क्योंकि वह सागरोपमपृथक्त्वप्रमाण है १४ । * उससे जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है ।
$ ६६. क्योंकि एकान्तानुवृद्धिके अन्तिम समयमें होनेवाले अन्तःकोड़ाकोड़ीप्रमाण जघन्य स्थितिबन्धका यहाँ पर ग्रहण किया है १५ ।
* उससे उत्कृष्ट स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है।।
$ ६७. क्योंकि अपूर्वकरणके प्रथम समयमें होनेवाले स्थितिकाण्डकका यहाँ ग्रहण किया है १६ ।
* उससे जघन्य स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणा है ।
$ ६८. क्योंकि एकान्तानुवृद्धिकालके अन्तिम समयमें होनेवाला जघन्य स्थितिसत्कर्म यहाँ पर विवक्षित है १७ ।