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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [ संजमासंजमलद्धी ___ * पढमसमयसंजदासंजदप्पहुडि जं एगंताणुवड्डीए वढदि चरित्ताचरित्तपजयेहिं एसो वढिकालो संखेजगुणो ।
६५६. एसो वि एयंताणुवडिकालो अंतोमुहुत्तपमाणो चेव, किंतु संखेजसहस्समेत्तट्ठिदिखंडय-तब्बंधकालगब्भिणो, तेण संखेजगुणो जादो ५।।
* अपुवकरणद्धा संखेजगुणा ।
५७. को गुणगारो ? तप्पाओग्गसंखेजमेत्तरूवाणि ६ । एत्थाणियट्टिकरणद्धा णत्थि त्ति ण तव्विसयमप्पाबहुअचिंतणं कयं ।
* जहरिणया संजमासंजमद्धा सम्मत्तद्धा मिच्छत्तद्धा संजमद्धा असंजमद्धा सम्मामिच्छत्तद्धा च एदाओ छप्पि अद्धाओ तल्लाओ संखेजगुणाओ।
५८. कुदो एदासि छण्हं जहण्णद्धाणं सरिसत्तमवगम्मदे ? एदम्हादो चेव सुत्तादो। तदो एदाओ छप्पि अद्धाओ अण्णोण्णं समाणाओ होदूण अपुव्वकरणद्धादोः संखेज्जगुणाओ त्ति घेत्तव्वं ७ ।
* गुणसेढी संखेजगुणा ।
५९. एत्थ गुणसेढि ति सामण्णणिद्द से वि पयरणवसेण संजमासंजम
* उनसे संयतासंयतके प्रथम समयसे लेकर एकान्तानुवृद्धिके द्वारा चारित्राचारित्रपर्यायरूपसे जो वृद्धि होती है वह वृद्धिकाल संख्यातगुणा है।।
$ ५६. यह एकान्तानुवृद्धिकाल भी अन्तर्मुहूर्तप्रमाण ही है, क्योंकि इस कालमें संख्यात हजार स्थितिकाण्डककाल और स्थितिबन्धकाल होते हैं, इसलिये वह संख्यातगुणा हो जाता है ।
* उससे अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणा है ।
६५७. गुणकार क्या है ? तत्प्रायोग्य संख्यात अंक गुणकार है ६ । यहाँ पर अनिवृत्तिकरणकाल नहीं है, इसलिए तद्विषयक अल्पबहुत्वका विचार नहीं किया।
* उससे जघन्य संयमासंयमकाल, सम्यक्त्वकाल, मिथ्यात्वकाल, संयमकाल, असंयमकाल और सम्यग्मिथ्यात्वकाल ये छह काल परस्पर तुल्य होकर संख्यातगुणे हैं।
६५८. शंका-इन छहोंके जघन्य कालका सदृशपना कैसे जाना जाता है ? " समाधान-इसी सूत्रसे जाना जाता है । इसलिए ये छहों काल परस्पर सदृश होकर अपूर्वकरणके कालसे संख्यातगुणे हैं ऐसा ग्रहण करना चाहिए ७ । . * उनसे गुणश्रेणि संख्यातगुणी है । $ ५९. यहाँ पर गुणश्रेणि ऐसा सामान्य निर्देश करने पर भी प्रकरणवश संयमासंयम