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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे दिसणमोहक्खवणा * सम्मत्तस्स दुचरिमट्टिदिखंडयं संखेजगुणं ।
5 १२९ एदं पि अंतोमुहत्तपमाणमेव होदूण पुचिल्लादो संखेजगुणमिदि णिच्छेयव्वं १०।
* तस्सेव चरिमट्टिदिखंडयं संखेजगुणं । ६ १३० गयत्थमेदं सुत्तं, चरिमद्विदिखंडयमाहप्पस्स पुव्वमेव समत्थियत्तादो ११॥ * अट्टवस्सद्विदिगे संतकम्मे सेसे जं पढमं विदिखंडयं तं संखेनगुणं । ६१३१. को गुणगारो ? संखेजा समया १२। * जहणिया आवाहा संखेज्रगुणा।
$ १३२. कदकरणिजपढमसमयविसयजहण्णाबाहाए णाणावरणादिकम्मपडिपबद्धाए एत्थ गहणं कायव्वं । एसा पुण पुन्विन्लादो संखेजगुणा ति सुत्तसिद्धमेव गहेयव्वं १३ ।
* उक्कस्सिया आबाहा संखेनगुणा । समयसे लेकर अपूर्वकरण और अनिवृत्तिकरणके कालसे विशेष अधिक गुणश्रेणि-आयामका निक्षेप यहाँपर विवक्षित है ९ ।
* उससे सम्यक्त्वप्रकृतिका द्विचरम स्थितिकाण्डक संख्यातगुणा है।
$ १२९. यह भी मात्र अन्तर्मुहूर्त प्रमाण होकर पिछले पदसे संख्यातगुणा है ऐसा निश्चय करना चाहिए १० ।
* उससे उसीका अन्तिम स्थितिकाण्डक संख्यातगुणा है ।
६ १३०. यह सूत्र गतार्थ है, क्योंकि अन्तिम स्थितिकाण्डकके माहात्म्यका पहले ही सथर्थन कर आये हैं ११ ।।
___ * उससे आठ वर्षप्रमाण स्थितिसत्कर्मके शेष रहनेपर जो प्रथम स्थितिकाण्डक होता है वह संख्यातगुणा है।
5 १३१. शंका-गुणकार क्या है ? समाधान—संख्यात समय गुणकार है १२ । * उससे जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है ।
5 १३२. कृतकृत्यसम्यग्दृष्टिके प्रथम समयमें ज्ञानावरणादि कर्मसम्बन्धी जघन्य आबाधाका यहाँपर ग्रहण करना चाहिए। यह पिछले पदसे संख्यातगुणी है, इसप्रकार सूत्रसिद्ध ही इसका ग्रहण करना चाहिए १३ ।
* उससे उत्कृष्ट आवाधा संख्यातगुणी है ।