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गाथा ११४ ]
एत्थतणपदविसेसप्पाबहुअपरूवणा * सम्मत्तक्खवणद्धा संखेजगुणा ।
$ १२५ एवं भणिदे मिच्छत्तं सम्मामिच्छत्तं खविय पुणो अट्ठवस्समेत्तट्ठिदिसंतकम्म खवेमाणस्स कालो गहेयव्यो। पुग्विन्लादो एसो संखेजगुणो। कुदो एदं णव्वदे ? एदम्हादो चेव सुत्तादो ६ ।
* अणियट्टिअद्धा संखेजगुणा।
६ १२६. किं कारणं ? अणियट्टिअद्धाए संखेज्जे भागे गंतूण संखेजमागे सेसे सम्मत्तक्खवणद्धाए पारंभदसणादो ७ । ।
* अपुव्वकरणद्धा संखेनगुणा ।
$ १२७. कुदो ? सहावदो चेवाणियट्टिकरणद्धादो अपुव्वकरणद्धाए सव्वत्थ संखेज्जगुणसरूवेणेवावट्ठाणणियमदंसणादो ८।।
* गुणसेढिणिक्खेवो विसेसाहिओ।
$ १२८. केत्तियमेत्तेण ? विसेसाहियअणियट्टिकरणद्धामेत्तेण । कुदो ? पढमसमयापुव्वकरणेण अपुव्वाणियट्टिकरणद्धाहितो विसेसाहियभावेण णिक्खित्तगुणसेढिआयामस्स विवक्खियत्तादो ९ ।
* उससे सम्यक्त्वप्रकृतिका क्षपणाकाल संख्यातगुणा है।
६ १२५. ऐसा कहनेपर मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्वका क्षय कर पुनः आठ वर्ष प्रमाण स्थितिसत्कर्मका क्षय करनेवाले जीवके कालका ग्रहण करना चाहिए। पूर्वके कालसे यह संख्यात
शंका-यह किस प्रमाणसे जाना जाता है ? . समाधान-इसी सूत्रसे जाना जाता है ६ । * उससे अनिवृत्तिकरणका काल संख्यातगुणा है ।
$ १२६. क्योंकि अनिवृत्तिरणके संख्यात बहुभाग जाकर संख्यातवें भागप्रमाण शेष रहनेपर सम्यक्त्वको क्षपणाके कालका प्रारम्भ देखा जाता है ७। .
* उससे अपूर्वकरणका काल संख्यातगुणा है।
5 १२७. क्योंकि स्वभावसे ही अनिवृत्तिकरणके कालसे अपूर्वकरणके कालका सर्वत्र संख्यातगुणेरूपसे अवस्थान होनेका नियम देखा जाता है ।
* उससे गुणश्रेणिनिक्षेप विशेष अधिक है। $ १२८. शंका-कितनामात्र अधिक है ? समाधान—अनिवृत्तिकरणके कालसे कुछ अधिक है, क्योंकि अपूर्वकरणके प्रथम