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गाथा ११४ ]
एत्थतणपदविसेसप्पा बहुअपरूवणा
$ १३३. किं कारणं १ अपुव्वकरणपढमसमयसंखेज्जगुणट्ठिदिबंधपडिबद्धाबाहाए
गहणादो १४ ।
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* पढमसमयअणुभागं अणुसमयोवट्टमाणगस्स अट्ठवस्साणि हिदिसंतकम्मं संखेज्जगुणं ।
$ १३४. किं कारणं १ अंतोमुहुत्तादो अट्ठवस्सट्ठिदिसंतकम्ममसंखेज्जगुणत्तसिद्धीए विसंवादाणुवलंभादो १५ ।
* सम्मत्तस्स असंखेज्जवस्सियं चरिमट्ठिदिखंडयं असंखेज्जगुणं । $ १३५. कुदो १ पलिदोवमा संखेज्जभागपमाणत्तादो १६ ।
* सम्मामिच्छत्तस्स चरिममसंखेज्जवस्सियं ट्ठिदिखंडयं विसेसाहियं । $ १३६. केत्तियमेत्तो विसेसो ? आवलियूणट्टवस्समेत्तो । कारणमेत्थ सुगमं १७ । * मिच्छत्ते खविदे सम्मत्त सम्मामिच्छत्ताणं पढमट्ठिदिखंडय - मसंखेज्जगुणं ।
$ १३३. क्योंकि अपूर्वकरणके प्रथम समय में होनेवाले संख्यातगुणे स्थितिबन्ध से सम्बन्ध रखनेवाली आबाधाका ग्रहण किया है १४ ।
* उससे प्रत्येक समय में अनुभागकी अपवर्तना करनेवाले जीवके प्रथम समयमें प्राप्त आठ वर्षप्रमाण स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणा है ।
$ १३४. क्योंकि अन्तर्मुहूर्तसे आठ वर्षप्रमाण स्थितिसत्कर्म संख्यातगुणा सिद्ध है, इसमें किसी प्रकारका विसंवाद नहीं पाया जाता है १५ ।
* उससे सम्यक्त्वप्रकृतिका असंख्यात वर्षप्रमाण अन्तिम स्थितिकाण्डक असंख्यातगुणा है |
$ १३५. क्योंकि वह पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है १६ ।
* उससे सम्यग्मिथ्यात्वका असंख्यात वर्षप्रमाण अन्तिम स्थितिकाण्डक विशेष अधिक है ।
$ १३६. शंका – विशेषका प्रमाण कितना है ?
समाधान - एक आवलिकम आठ वर्षप्रमाण है ।
यहाँ कारण सुगम है १७ ।
* उससे मिथ्यात्वका क्षय होनेपर सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका प्रथम स्थितिकाण्डक असंख्यातगुणा है ।