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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ सम्मत्ताणियोगद्दारं १०
असमाणा णियमा अनंतगुणसरूवेण वडिदा करणा परिणामा जम्हि तमपुव्वकरणं नाम । एत्थतणपरिणामा पडिसमयमसंखेजलोगमेत्ता होणण्णसमयद्विदपरिणामेहिं सरिसा ण होंति त्ति भावत्थो । जम्हि वट्टमाणाणं जीवाणमेगसमयम्हि परिणाममेदो णत्थि तमणियकिरणं णाम । एदेसिं करणाणं विसेसणिण्णयमुवरि कस्सामो । एवमधापवत्तादिकरणाणं णामणिद्देसं काढूण संपहि एदेसिं तिण्हमद्धाहिंतो उवरि उवसामणद्धा होइ चि जाणावणट्टमुत्तरमुत्तमोइण्णं
* चउत्थी उवसामणद्धा ।
§ ८७, का उवसामणद्धा णाम १ जम्हि अद्भाविसेसे दंसणमोहणीयमुवसंतावण्णं होण चिट्ठा सा उवसामणद्धा ति भण्णदे । उवसमसम्माइट्टिकालो त्ति भणिदं होइ । * एवेसिं करणाणं लक्खणं ।
९ ८८. एदेसिं करणाणं लक्खणपरूवणं इदाणि कस्सामो चि भणिदं होइ । तत्थ ताव जहा उद्देसो तहा णिद्देसो त्ति णायादो अधापवतकरणलक्खणं पढममेव परूविजदे । तत्थ दोण्णि अणिओगद्दाराणि – अणुकट्टिपरूवणा अप्पाबहुअं चेदि । एत्थ ताव सुतणिबद्धस्स अप्पाबहुअस्स साहणट्ठमणुकद्विपरूवणं कस्सामो । तं जहाअधापवत्तकरणपढमसमयप्पहुडि जाव चरिमसमओ त्ति ताव पादेकमेकेकम्मि समये
करणमें प्रत्येक समयमें अपूर्व अर्थात् असमान नियमसे अनन्तगुणरूपसे वृद्धिंगत करण अर्थात् परिणाम होते हैं वह अपूर्वकरण है। इस करणमें होनेवाले परिणाम प्रत्येक समय में असंख्यात लोकप्रमाण होकर अन्य समयमें स्थित परिणामोंके सदृश नहीं होते हैं यह उक्त कथनका भावार्थ है । जिस करणमें विद्यमान जीवोंके एक समयमें परिणामभेद नहीं है वह अनिवृत्तिकरण है | इन करणोंका विशेष निर्णय ऊपर करेंगे। इस प्रकार अधःप्रवृत्त आदि करणोंका नामनिर्देश करके अब इन तीनोंके कालसे ऊपर ( आगे ) उपशामनकाल होता है इस बातका ज्ञान करानेके लिये आगेका सूत्र आया है
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* चौथी उपशामनाद्धा है ।
९ ८७. शंका-उपशामनाद्धा किसे कहते हैं ? .
समाधान — जिस कालविशेषमें दर्शनमोहनीय उपशान्त होकर अवस्थित होता है उसे उपशामनाद्धा कहते हैं । उपशमसम्यग्दृष्टिका काल यह उक्त कथनका तात्पर्य है ।
* अब इन करणोंका लक्षण कहते हैं ।
$ ८८. इन करणोंके लक्षणका कथन इस समय करेंगे यह उक्त कथनका तात्पर्य है । ' उसमें भी सर्वप्रथम 'उद्देश्यके अनुसार निर्देश किया जाता है' इस न्यायके अनुसार प्रथम ही अधःप्रवृत्तकरणका लक्षण कहते हैं। उसमें दो अनुयोगद्वार हैं- अनुकृष्टिप्ररूपणा और अल्पबहुत्व । यहाँ सर्वप्रथम सूत्रमें निबद्ध किये गये अल्पबहुत्वका साधन करनेके लिये अनुत्कृष्टका कथन करेंगे । यथा - अधःप्रवृत्तकरणके प्रथम समयसे लेकर अन्तिम समय तक पृथक
१. ताप्रती - णाववविदा इति पाठः ।