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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
* सादासादाण मण्णदरस्स पवेसगो ।
४६. किं कारणं १ एदासिं दोण्डं पयडीणं परावत्तमाणोदयाणमकमेण पवेसणे संभवावलंभादो |
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[ सम्ताणियोगद्दारं १०
* चदुण्हं कसायाणं तिन्हं वेदाणं दोन्हं जुगलाणमण्णदरस्स पवेसगो । $ ४७. किं कारणं १ परोप्परविरुद्धाणमेदेसिं जुगवं पवेसेदु म सक्कियत्तादो । * भय-दुगुंछाणं सिया पवेसगो ।
९ ४८. किं कारणं १ तदुदयविरहिदावत्थाए वि संभवदंसणा दो । पवेसगो वि सिया अण्णदरस्स पवेसगो, सिया दोन्हं पि पवेसगो त्ति घेत्तव्वं ।
* चउण्हमाउआणमण्णदरस्स पवेसगो ।
$ ४९. किं कारणं १ चउण्हमेदेसिं पडिणियदगइविसेसपडिबद्धाणं कम्मोदययमदंसणादो |
* चदुण्हं गइणामाणं दोन्हं सरीराणं छण्हं संठाणाणं दोन्हमंगोवंगाणमण्णदरस्स पवेसगो ।
$ ५०. एत्थ अण्णदरगहणस्स गदि -आदीहिं पादेक्कमहिसंबंधो कायव्वो । सेसं सुगमं ।
* साता और असाता इनमेंसे किसी एकका प्रवेशक होता है ।
$ ४६. क्योंकि ये दोनों प्रकृतियाँ परावर्तमान उदयस्वरूप हैं, इसलिये इनका युगपत् प्रवेशक होना सम्भव नहीं है ।
* चार कषाय, तीन वेद और दो युगलोंमेंसे अन्यतर एक-एकका प्रवेशक होता है ।
- $ ४७. क्योंकि ये प्रकृतियाँ परस्पर विरुद्ध हैं, इसलिये इनका युगपत् प्रवेश करना शक्य नहीं है ।
* भय और जुगुप्साका कदाचित् प्रवेशक होता है ।
$ ४८. क्योंकि उनकी उदयसे रहित अवस्था भी देखी जाती है । यदि प्रवेशक होता भी है तो कदाचित् किसी एक प्रकृतिका प्रवेशक होता है और कदाचित् दोनों ही प्रकृतियोंका प्रवेशक होता है ऐसा यहाँ पर ग्रहण करना चाहिए ।
* चारों आयुओं में से किसी एक आयुकर्मका प्रवेशक होता है ।
$ ४९. क्योंकि ये चारों आयु पृथक्-पृथक् प्रतिनियत गतिविशेषसे प्रतिबद्ध हैं, इसलिये तदनुसार ही उस उस आयुकर्मके उदयका नियम देखा जाता है ।
* चार गतिनाम, दो शरीर, छह संस्थान और दो आंगोपांग इनमेंसे अन्यतर एक-एकका प्रवेशक होता है।
$ ५०. यहाँ पर अन्यतर पदका गति आदि प्रत्येकके साथ सम्बन्ध करना चाहिए । शेष कथन सुगम है ।