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गाथा ६९] सत्तमगाहामुत्तस्स अत्थपरूवणा
१३५ गुणहाणिसलागाणं तत्तो संखजगणतं मोत्तूण णासंखेजगुणत्तसंभवो ति । किंतु रूवूणजहण्णपरित्तासंखेजच्छेदणयमेत्तीओ हेट्ठिमणाणागुणहाणिसलागाओ त्ति घेत्तूण पयदत्थसमत्थणा कायव्वा, तहा घेप्पमाणे उवरिमणाणागुणहाणिसलागाणमसंखेजगुणत्तसंभवदंसणादो। तं कधं ? उक्स्स संखेजयं विरलेयूण पुव्वुत्तपमाणजवमज्झच्छेदणएसु समखंडं कादूण दिण्णेसु रूवं पडि जहण्णपरित्ताखेजच्छेदणयपमाणं होदूण पावइ । पुणो एत्थ सव्वरूवधरिदेसु एगेगरूवमवणिय पुध द्ववेयव्वं । एवं ठविदे विरलणरूवं पडि अवणि दसेसाणि रूवूणजहण्णपरित्तासंखेज्जच्छेदणयमेत्तरूवाणि जादाणि । सव्वरुवधरिदेसु अवणिदरूवाणि वि एकदो मेलाविदाणि उक्कस्ससंखेज्जमेत्ताणि जादाणि । पुणो एदाणि रूवूणजहण्णपरित्तासंखेज्जछेदणएहिं भागं घेत्तूण भागलद्धसंखेजरूवाणि पुग्विल्लुक्कस्ससंखेजविरलणाए पासे विरलिय तेसु रूवेसु समखंडं करिय दिण्णेसु संपहियविरलणए वि रूवं पडि रूवूणजहण्णपरित्तासंखेज्जछेदणयमेत्ताणि रूवाणि लद्धाणि । संपहि एत्थेगरूवधरिदरूवूणजहण्णपरित्तासंखेजछेदणयमेत्तीओ हेट्ठिमणाणागुणहाणिसलागाओ संघहियरूवधरिदमेत्तीओ दुरूवूणादिविरलणरूवधरिदमेत्तीओ च उवरिमणाणागुणहाणि सलागाओ त्ति गहेयव्वं । एवं गहिदे हेट्ठिमणाणागुणहाणिसलागाहिंतो उवरिमणाणागुणहाणिसलागाओ णिस्संसयमसंखेज्जगुणाओ अधस्तन नाना गुणहानिशलाकाओंके ग्रहण करनेपर उपरिम नाना गुणहानिशलाकाऐं उनसे संख्यातगुणी होती हैं इसे छोड़कर उनका असंख्यातगुणा होना सम्भव नहीं है। किन्तु एक कम जघन्य परीतासंख्यातके अर्धच्छेदप्रमाण अधस्तन नाना गुणहानिशलाकाओंको ग्रहणकर प्रकृत अर्थका समर्थन करना चाहिए, क्योंकि इस प्रकारसे ग्रहण करनेपर उपरिम नाना गुणहानिशलाकाओंका असंख्यातगुणा होना सम्भव देखा जाता है।
शंका-वह कैसे ?
समाधान-क्योंकि उत्कृष्ट संख्यातका विरलनकर पूर्वोक्त प्रमाण यवमध्यके अर्धच्छेदोंको समान खण्डकर देयरूपसे देनेपर प्रत्येक एकके प्रति जघन्य परीतासंख्यात अर्धच्छेदोंका प्रमाण प्राप्त होता है । पुनः यहाँपर सब अंकोंके प्रति प्राप्त राशिमेंसे एक-एक अंकको निकालकर पृथक् स्थापित करना चाहिए । इस प्रकार स्थापित करनेपर प्रत्येक विरलनके प्रति निकालनेके बाद शेष संख्या एक कम जघन्य परीतासंख्यात अर्धच्छेदप्रमाण अंकवाली हो जाती है। सब अंकोंके प्रति प्राप्त निकाले गये अंक भी एकत्र मिलानेपर उत्कृष्ट संख्यातप्रमाण हो जाते हैं। पुनः इन्हें एक कम जघन्य परीतासंख्यातके अर्धच्छेदोंसे भाजितकर भाग करनेसे जो संख्यात अंक ‘लब्ध ‘आवें उनको पहलेके उत्कृष्ट संख्यातसम्बन्धी विरलनके पास विरलितकर उन अंकोंके समान खण्डकर देयरूपसे देनेपर साम्प्रतिक विरलनके प्रत्येक एकके प्रति एक कम जघन्य परीतासंख्यातके अर्धच्छेदप्रमाण अंक प्राप्त होते हैं। अब यहाँ एक अंकके प्रति प्राप्त एक कम जघन्य परीतासंख्यातके अर्धच्छेदप्रमाण अधस्तन नानागुणहानिशलाकाएँ होती हैं और साम्प्रतिक अंकोंके प्रति रखी गई संख्याप्रमाण और दो अंक कम आदि विरलनके अंकोंके प्रति प्राप्त संख्याप्रमाण उपरिम नाना गुणहानिशलाकाएँ होती हैं ऐसा यहाँ ग्रहण करना चाहिए। ऐसा ग्रहण करनेपर अधस्तन नाना गुणहानिशलाकाओंसे