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११८ जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ उवजोगो ७ वड्डि-हाणिट्ठाणंतरसलागाओ असंखेन्जाणि आवलियपढमवग्गमूलाणि । अप्पाबहुअंएयदुगुणवड्डि-हाणिहाणंतरं थोवं । णाणादुगुणवड्डि-हाणिट्ठाणंतरसलागाओ असंखेजगुणाओ।
२६०. संपहि अवहारो वुचदे-जहण्णउवजोगट्ठाणजीवपमाणेण सव्वउवजोगद्धट्ठाणजीवा केवचिरेण कालेण अवहिरिजंति १ असंखेजेण कालेण अवहिरिजंति । अथवा पलिदोवमस्स असंखेञ्जदिभागमेत्तेण कालेण अवहिरिजंति । एत्तो भागहारं विसेसहीणं कादण णेदव्वं जाव जवमझे त्ति । पुणो जवमज्झजीवपमाणेण तिण्णिगुणहाणिहाणंतरेण कालेण अवहिरिजंति । एत्तो उवरि भागहारो विसेसाहियसरूवेण णेदव्यो जाव उकस्सट्ठाणे त्ति । पुणो उक्कस्सट्ठाणजीवपमाणेण पलिदोवमस्स असंखेजदिभागेण कालेण अवहिरिजंति । भागाभागो जाणिय णेदव्यो ।
२६१. अप्पाबहुअं—सव्वत्थोवा उक्कस्सए उवजोगद्धट्ठाणे जीवा । जहण्णए उवजोगट्ठाणे जीवा असंखेजगुणा । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो । जवमज्झाजीवा असंखेजगुणा । को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेजदिभागो । जवमज्झस्स हेडिमजीवा असंखेजगुणा । को गुणगारो ? आवलियाए असंखेजदिभागो ।
द्विगुणवृद्धिस्थानान्तर तथा एक द्विगुणहानिस्थानान्तर आवलिके प्रथम वर्गमूलके असंख्यातवें भागप्रमाण है । नाना द्विगुणवृद्धिस्थानान्तरशलाकाएँ और नाना द्विगुणहानिस्थानान्तर शलाकाएँ आवलिके असंख्यात प्रथम वर्गमूलप्रमाण हैं। अल्पबहुत्व-एक द्विगुणवृद्धिस्थानान्तर और एक द्विगुणहानिस्थानान्तर सबसे स्तोक है। उससे नाना द्विगुणवृद्धिस्थानान्तरशलाकाएँ और नाना द्विगुणहानिस्थानान्तरशलाकाएं असंख्यातगुणी हैं।
६२६०. अब अवहारका कथन करते हैं-जघन्य उपयोग अद्धास्थानके जीवोंके प्रमाणसे सब उपयोग अद्धास्थानोंके जीव कितने कालके द्वारा अपहृत होते हैं ? असंख्यात कालके द्वारा अपहृत होते हैं। अथवा पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण कालके द्वारा अपहृत होते हैं। इससे आगे यवमध्यके प्राप्त होने तक भागहारको विशेष हीन करके ले जाना चाहिए। पुनः यवमध्यके जीवोंके प्रमाणसे तीन गुणहानिस्थानान्तरप्रमाण काल द्वारा अपहृत होते हैं। इससे आगे उत्कृष्ट स्थानके प्राप्त होने तक भागहारको विशेष अधिक करके ले जाना चाहिए । पुनः उत्कृष्ट स्थानके जीवोंके प्रमाणसे पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण कालद्वारा अपहृत होते हैं। यहाँ प्रत्येक स्थानपर विवक्षित कालको भागहार बनाकर सब उपयोग अद्धास्थानोंके जीवोंके प्रमाणको उससे भाजित कर विवक्षित स्थानकी संख्या प्राप्त की गई है। भागहारका उल्लेख मूलमें किया ही है। भागाभागका जानकर कथन करना चाहिए।
२६१. अल्पबहुत्व-उत्कृष्ट उपयोग अद्धास्थानमें जीव सबसे थोड़े हैं। उनसे जघन्य उपयोग अद्धास्थानमें जीव असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है। उनसे यवमध्यके जीव असंख्यातगुणे हैं। गुणकार कर है ? पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाणं गुणकार है। उनसे यवमध्यसे पूर्ववर्ती स्थानोंके जीव असंख्यातगुणे हैं । गुणकार क्या है ? आवलिके असंख्यातवें भागप्रमाण गुणकार है।