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जयधवलास हिदे कसायपाहुडे
[ उवजोगो ७
* तं जहा ।
$ २२३. सुगममेदं । एत्थ पयदप्पाबहुअविसए अव्युप्पण्णसोदाराणं सुहावगमसमुप्पायण मेदेसिं बारसण्डं सत्थाणपदाणमेसा संदिट्ठी
यह प्रतिज्ञावाक्य है ।
* वह जैसे ।
वट्टमाणकाले माणोवजुत्तरासिपमाणं १६, वट्टमाणकाले कोहोवजुत्तरासिपमाणं २०, वट्टमाणकाले मायोवजुत्तरासिपमाणं २५, वट्टमाणकाले लोभोवजुत्तरासिपाणं ३१ । तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले माणोवजत्तकालो एसो ३६, तेसिं चेव जीवाणमदीदकाले कोहोजुत्तकालो एसो १२, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले मायोवजुत्त कालो एसो ४, तेसिं चैव जीवाण मदीदकाले लोभोवजुत्तकालो एसो २, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले णोमाणकालो एसो २९१६, तेसिं चेव जीवाणमदीदकाले
कोहकालो एसो ९७२, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले णोमायकालो एसो ३२४, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले गोलोभकालो एसो १०८, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले माणमिस्स कालो एसो ८७४८, तेसिं चैव जीवाणमदीदकाले कोहमिस्सयकालो एसो १०७१६, सिं चैव जीवाणमदीदकाले मायमिस्सयकालो एसो ११३७२, तेसिं चेव जीवाणमदीद - काले लोभमिस्सकालो एसो ११५९० । एवमेदीए संदिट्ठीए जाणिदसंस्काराणं सिस्साणमिदाणिं पयदप्पाबहुअमोदारइस्सामो—
* लोभोवजुत्ताणं लोभकालो थोवो ।
$ २२३. यह सूत्र सुगम है । यहाँपर प्रकृत अल्पबहुत्वके विषयमें अजानकार श्रोताओं को सुखपूर्वक ज्ञान उत्पन्न करनेके लिए इन बारह स्वस्थान पदोंकी यह संदृष्टि हैवर्तमानकाल में मानमें उपयुक्त हुई जीवराशिका प्रमाण १६, वर्तमान कालमें क्रोधमें उपयुक्त हुई जीवराशिका प्रमाण २०, वर्तमान कालमें मायामें उपयुक्त हुई जीवराशिका प्रमाण २५ तथा वर्तमान कालमें लोभमें उपयुक्त हुई जीवराशिका प्रमाण ३१ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें मानोपयुक्त काल यह है - ३६ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें क्रोधोपयुक्त काल यह है -१२ | उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें मायोपयुक्त काल यह है -४ | उन्हीं जीवोंका अतीत काल में लोभोपयुक्त काल यह है - २ | उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें नोमानकाल यह है२९१६ | उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें नोक्रोधकाल यह है ९७२। उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें नो मायाकाल यह है - ३२४ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें नोलोभकाल यह है - १०८ | उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें मानमिश्रकाल यह है - ८७४८ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें क्रोधमिश्रकाल यह है - १०७१६ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें मायामिश्रकाल यह है - ११३७२ । उन्हीं जीवोंका अतीत कालमें लोभमिश्रकाल यह है - ११५९० । इस प्रकार इस संदृष्टि द्वारा संस्कार प्राप्त शिष्योंके निमित्त इस समय प्रकृत अल्पबहुत्वका अवतार करेंगे --
* लोभकषायमें उपयुक्त हुए जीवोंका लोभकाल सबसे थोड़ा है ।