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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ उवजोगो ७ असंखेजाओ कोहोवजोगद्धाओ।
$१०८. एदेण सुत्तेण कोहस्स संखेजोवजोगिगाणमसंखेज्जोवजोगिगाणं च भवग्गहणाणमुवसंदरिसणं कयं होइ। तं कथं ? एगवस्सब्भंतरे संखेजसहस्समेत्तीओ कोहोवजोगद्धाओ होति । अंतोमुहुत्तभंतरे जइ एगा कोहोवजोगद्धा लब्भइ तो एगवस्सब्भंतरे केत्तियमेत्तीयो लहामो त्ति तेरासियकमेण तासिमुप्पत्तिदंसणादो । पुणो एदाहिं एगवस्सन्भंतर-कोहोवजोगद्धाहिं जहण्णासंखेजयस्स भागो घेत्तव्यो। संखेजसहस्समेत्ताणमुवजोगाणं जइ एगवस्सपमाणं लब्भइ तो जहण्णपरित्तासंखेजमेत्ताणमुवजोगाणं केत्तियमेत्ताणि वस्साणि लहामो ति एवं तेरासियं कादूण पमाणेण फलगुणिदिच्छाए ओवट्टिदाए जहण्णपरित्तासंखेजयस्स संखेजदिभागमेत्ताणि रूवाणि आगच्छति । पुणो एत्तियाणि वस्सागि जो भवो भागलद्धमेत्ताणि वस्साणि घेत्तण जो भवो त्ति भणिदं होदि । तम्हि असंखेजाओ कोहोवजोगद्धाओ। किं कारणं ? एगवस्सन्भंतरे जइ संखेजसहस्समेत्तीओ कोहोवजोगद्धाओ लब्भंति तो अणंतरणिहिट्ठभागलद्धमेत्तवस्सेसु केत्तियमेत्तीओ लहामो ति तेरासियं कादूण जोइदे जहण्णपरित्तासंखेजमेत्तीणं कोहोवजोगद्धाणमत्थुवलंभादो। एवमेदेण सुत्तेण कोहस्स संखेज्जासंखेजोभव होता है उसमें क्रोधके असंख्यात उपयोगकाल होते हैं।
१०८. इस सूत्र द्वारा क्रोघकषायके संख्यात उपयोगवाले और असंख्यात उपयोगवाले भवोंका निर्णय किया गया है।
शंका-वह कैसे ?
समाधान—एक वर्षके भीतर क्रोध कषायके संख्यात हजारप्रमाण उपयोगकाल होते हैं, क्योंकि अन्तर्मुहूर्त कालके भीतर यदि क्रोधकषायका एक उपयोगकाल प्राप्त होता है तो एक वर्षके भीतर कितने उपयोगकाल प्राप्त होंगे इस प्रकार त्रैराशिक विधिसे संख्यात हजारप्रमाण उपयोगकालोंकी उत्पत्ति देखी जाती है। फिर एक वर्षके भीतर प्राप्त हुए क्रोधकषायके इन उपयोगकालोंके द्वारा जघन्य परीतासंख्यातको भाजित करना चाहिए
हजार उपयोगोंका यदि एक वर्षप्रमाण काल प्राप्त होता है तो जघन्य परीतासंख्यातप्रमाण उपयोगोंके कितने वर्ष प्राप्त होंगे इस प्रकार त्रैराशिक कर फलराशिसे गुणित इच्छाराशिमें प्रमाणराशिसे भाजित करने पर जघन्य परीतासंख्यातके संख्यातवें भाग प्रमाण अंक प्राप्त होते हैं। पुनः इतने वर्षोंका जो भव है अर्थात् पूर्वोक्त त्रैराशिक करने पर जो भाग लब्ध आया उतने वर्षोंका जो भव है यह उक्त कथनका तात्पर्य है, उस भवमें क्रोध कषायके असंख्यात उपयोगकाल होते हैं, क्योंकि एक वर्षके भीतर क्रोधकषायके यदि संख्यात हजारप्रमाण उपयोगकाल प्राप्त होते हैं तो अनन्तर प्राप्त हुए जिस भागका निर्देश कर आये हैं तत्प्रमाण वर्षों के भीतर क्रोधकषायके कितने उपयोगकाल प्राप्त होंगे इस प्रकार त्रैराशिक करके देखने पर क्रोधकषायके जघन्य परीतासंख्यातप्रमाण उपयोगकाल प्राप्त होते हैं। इस प्रकार इस सूत्रके द्वारा क्रोधकषायके संख्यात उपयोगवाले और असंख्यात उपयोगवाले भवोंके विषयविभागका सम्यक प्रकारसे निर्णय कर दिया गया है, क्योंकि