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जयधवलासहिदे कसायपरहुडे
[ वेदगो ७
ताणु० कोह० - मिच्छ० सम्म० सम्मामि० एव खोक० सिया उदीर० । एवं माणमाय - लोभाएं । पश्चक्खाणकोधमुदीरंतो को संजलण० खिय० उदीर० । दोण्य कोध० - मिच्छ १० सम्म० सम्मामि० णचणोक० सिया उदीर० । एवं पच्चक्खाणमाणमाया- लोहाणं । कोहसंजयमुदीरेंतो मिच्छ० सम्म० सम्मामि० - तिष्णिकोध०-एवपोक० सिया उदीर० । एवं तिए संजलणारणं । इत्थिवे० उदीरेंतो मिच्द० सम्म ०सम्मामि० सोलमक० एणोक० सिया उदीर | एवं पुरिसवे० एस० । इस्समुदीरंतो मिच्छ० सम्म० सम्मामि० सोलसक० - तिरियवे०-भय-दुगंच० सिया उदीर० । रदीए खिय० उदीर० । एवं रदीए। एवमरदि-सोगाणं । भयमुदीरंतो दंसरखतिय- सोलसक०. तिणिवेद-हस्स-रदि-श्ररदि-सोग - दुर्गुछ० सिया उदीर० । एवं दुगुंबा० ।
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६५०. आदेसेण रहय० मिच्छत्तमुदीरेंतो० सोलसक० छण्ोक० सिया उदीर० । वुंस० यि० उदीर० । सम्मत्तमुदीरें तो ० बारसक० धरणोक० सिया उदीर० । वंस० शियमा उदीर० एवं सम्मामि० । अरणंतागु० कोधमुदीरेंतो तिएवं कोधावं पुंस० यि० उदीर० । मान्छे लोक सेवादार जीएमहाराज
बन्धी क्रोध, मिध्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व और नौ नोकषायका कदाचित् उदीरक होता है। इसीप्रकार अप्रत्याख्यानावरण मान, माया और लोभकी मुख्यताले जान लेना चाहिए | प्रत्याख्यानावरण क्रोध की उदीरणा करनेवाला जीव कोधसंज्वलनका नियमसे उदीरक होता है । दो कोध, मिध्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिध्यात्व और नौ नोकषायांका कदाचित् उदीरक होता है । इसीप्रकार प्रत्याख्यानावरण मान, माया और लोभकी मुख्यतासे जान लेना चाहिए । क्रोधसंज्वलनकी उदीरणा करनेवाला जीव मिथ्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिध्यात्व तीन क्रोध और नी नोकपायोंका कदाचित् उदीरक होता है। इसीप्रकार तीन संज्वलनोंकी मुख्यतासे जानना चाहिये। स्त्रीवेदकी उदीरणा करनेवाला जीव मिध्यात्व, सम्यक्त्व, सम्यग्मिथ्यात्व, सोलह कषाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक होता है । इसीप्रकार पुरुपवेद और नपुंसकवेदी मुख्यतासे जानना चाहिए। हास्यकी उदीरणा करनेवाला जीव मिध्यात्व, सम्यक्त्व, सभ्यमिध्यात्व, सोलह कपाय, तीन वेद, भय और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक होता है । रतिका नियमसे उदीरक होता है। इसीप्रकार रतिकी मुख्यतासे जानना चाहिए। तथा इसीप्रकार अरति और शोककी मुख्यतासे भी जानना चाहिए । भयकी उदीरणा करनेवाला जीव तीन दर्शनमोहनीय, सोलह कषाय, तीन वेद, हास्य, रति, अरति शोक और जुगुप्साका कदाचित् उदीरक होता है। इसीप्रकार जुगुप्साकी मुख्यतासे जानना चाहिए ।
५०. आदेश से नारकियोंमें मिथ्यात्वकी उदीरणा करनेवाला जीव सोलह कपाय और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक होता है। नपुंसक वेदका नियमसे उदीरक होता है । सम्यक्त्व की उदीरणा करनेवाला जीव बारह कपाय और छह नोकपायोंका कदाचित् उदीरक होता है। नपुंसकवेदका नियमसे उदीरक होता है। इसीप्रकार सम्यग्मिध्यात्वकी मुख्यता से जानना चाहिए । अनन्तानुबन्धी कोधकी उदीरणा करनेवाला जीव तीन क्रोध और नपुंसकबेदका नियमसे उदीरक होता है। मिध्यात्व और छह नोकषायोंका कदाचित् उदीरक होता है । इसीप्रकार अनन्तानुबन्धी मान