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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे
[ बंधगो ६
६७२४. तो समुत्तिणाणुसारेण सामित्ते अप्पा बहुए च विहासिदे तदो बड़ी समपदित्ति भणिदं होइ । जेणेदं देसामासयसुतं तेणेत्थ कालादिअणियोगद्दाराणं पि विहासणा सुतविद्धाति दट्ठव्त्रा । तदो दव्त्रयिणयावलंबणेण पयट्टस्सेदस्स सुत्तस्स पञ्जवट्ठिय परूवणा जाणिदूण दव्त्रा ।
तो वst समत्ता |
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* एन्तो द्वाणाणि ।
१७२५. एतो उवरि पदेससंकमट्टणाणि परूवेयव्त्राणि त्ति भणिदं होइ । संपहि तत्थ संभवताणमणियोगद्दारा णमियत्त । वहा रणदुमुत्तरमुत्तं भणइ ।
* पदेससंकमद्वाणाणं परूवणा अप्पाबहुअं च ।
६ ७२६. एवमेदाणि दोणि आणिओगद्दाराणि । पदेससंकमट्ठा णसरूवजाणावणमेत्थ परूवेयव्त्राणि त्ति भणिदं होइ । समुत्तिणा परूवणापमाणम अप्पा बहुअं चेदि चत्तारि अणियोगाद्दाराणि किमेत्थ ण वृत्ताणि १ ण, समुत्तिणाए परूवर्णतन्भावादो । पमाणाणिओगद्दारस्स वि अप्पा बहुअंतभूदत्तादो । तत्थ परूत्रणा णाम सव्त्रकम्मे पदेससंकमाणामुपपत्तिकमणिरूवणा । तेसिं चेव पमाणविसयणिण्णयजणणङ्कं थोवबहुत्त परिक्खा अप्पा हुमिदि भदे |
६ ७२४. आगे समुत्कीर्तना के अनुसार स्वामित्व और अल्पबहुत्वका व्याख्यान करने पर इसके बाद वृद्धि समाप्त होती है यह उक्त कथनका तात्पर्य है । यतः यह देशामर्धक सूत्र है अतः यहाँ पर कालादि अनुयोगद्वारोंका भी व्याख्यान सूत्र निबद्ध है ऐसा जानना चाहिए । इसलिए द्रव्यार्थिकनका अवलम्बन कर प्रवृत्त हुए इस सूत्रकी पर्याया थिंक प्ररूपणा जानकर ले जानी चाहिए । । इसके बाद वृद्धि समाप्त हुई ।
* आगे संक्रमस्थानों का प्रकरण है ।
६ ७२५. इससे आगे प्रदेश संक्रमस्थानोंका कथन करना चाहिए यह उक्त कथनका तात्पर्य है। अब इस प्रकरण सम्भव अनुयोगद्वारों के प्रमाणका निर्धारण करनेके लिए आगेका सूत्र कहते हैं
* प्रदेश संक्रमस्थानोंके प्ररूपणा और अल्पबहुत्व इस प्रकार ये दो अनुयोग
द्वार हैं ।
६ ७२६. प्रदेशसंक्रम स्थानोंके स्वरूपका ज्ञान करानेके लिए यहाँ पर कथन करना चाहिए यह उक्त कथनका तात्पर्य है ।
शंका - समुत्कीर्तना, प्ररूपणा, प्रमाण और अल्पबहुत्व इस प्रकार चार अनुयोगद्वार यहाँ पर क्यों नहीं कहे ?
समाधान नहीं, क्योंकि समुत्कीर्तनाका प्ररूपणा में अन्तर्भाव हो जाता है । तथा प्रमाण अनुयोगद्वारका भी अल्पबहुत्वमें अन्तर्भाव हो गया है।
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प्रकृत सब प्रदेश संक्रमस्थानोंकी उत्पत्तिके क्रमका निरूपण करना प्ररूपणा है । उन्हीं के प्रमाणविषयक निर्णयका ज्ञान कराने के लिए थोड़े बहुतकी परीक्षा करना अल्पबहुत्व कहा जाता है।