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जयधवला सहिदे कसाय पाहुडे
[ बंगधो ६ संका० लोग० असंखे० भागो अट्ठचोद्दस ० ( देसूणा ) सव्वलोगो वा । अवत्त ० संका ० लोग० असंखे ० भागो अट्ठबारह चोहस० ( दे० ) । अनंताणुबंधी ४ अवट्ठि ०१ अ० संका • लोग० असंखे० भागो अट्ठचोदस ० ( देखूणा ) । सेसपदसंका ० सव्वलोगो । बारसक०
वोक • सव्वपदसंका • सव्वलोगो । णवरि अवत० लोग० असंखे ० भागो । पुरिसवे ०
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अव० संका • लोग० असंखे० भागो अट्ठचोद्दस ० ( देसूणा ) |
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६५३२. आदेसेण रइय० मिच्छ० सव्वपद ० संका० लोग० असंखे० भागो । सम्म० सम्मामि० अवत्त० लोग ० असंखे ० भागो पंचचोद्दस ० ( देखणा ) । भुज० अप्प० संका० लोग० असंखे० भागो छत्तोहस० ( देखणा ) । सोलसक० णवणोक ० सव्वपदसं० लोग० असंखे ० भागो छ चोद्दस ० ( देसूणा ) । वरि अनंताणु० चउक अवत्त० पुरिस० अवट्ठि० संका० लोग० असंखे ० भागो । एवं सव्वणेरइय । णवरि सगपोसणं एवं सत्तमाए । वरि सम्म० सम्मामि० अवत्त ० संका • लोग० असंखे ० भागो । वरि पढमाए खेतभंगो ।
चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके भुजगार और अल्पतर संक्रामकने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण, त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भाग प्रमाण और सब लोक क्षेत्रका स्पर्शन किया है । अवक्तव्यसंक्रामक जीवोंने लोकके श्रसंख्यातवें भागप्रमाण तथा त्रसनाली के कुछ कम आठ और कुछ कम बारह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । अनन्तानुबन्धी चतुष्कके अवस्थित और अवक्तव्यसंक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । शेष पदोंके संक्रामक जीवोंने सर्व लोकका स्पर्शन किया है । बारह कषाय और नौ नोकषायोंके सब पदोंके संक्रामक जीवोंने सब लोकका स्पर्शन किया है । इतनी विशेषता है कि अवक्तव्यसंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। तथा पुरुषवेदके अवस्थित संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम आठ बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है ।
९५३२. आदेश से नारकियोंमें मिथ्यात्व के सब पदोंके संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्व के अवक्तव्यसंक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम पाँच बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । भुजगार और अल्पतरसंक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। सोलह कषाय और नौ नोकषायों के सब पदों के संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण और त्रसनालीके कुछ कम छह बटे चौदह भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है । इतनी विशेषता है कि अनन्तानुबन्धी चतुष्कके अवक्तव्यसंक्रामक और पुरुषवेदके अवस्थित संक्रामक जीवोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया है। इसी प्रकार सब नारकियो में जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि अपना-अपना स्पर्शन करना चाहिए। सातवीं पृथिवीमें भी इसी प्रकार जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वके अवक्तव्य संक्रामकोंने लोकके असंख्यातवें भागप्रमाण क्षेत्रका स्पर्शन किया हैं । इतनी और विशेषता है कि पहिली पृथिवीं में क्षेत्रके समान भङ्ग है ।
१. 'श्रवत्त' ता० ।