________________
गा० ८ ]
उत्तरपयडिपदेससंकमे भुजगारो
३५७
भुज ० संका ० के ० ? संखेजा भागा । अप्प ० संका० सव्वजी० के० भागो ? संखेज दि
भागो ।
1
६५२४. आदेसेण रइय० - मिच्छ० सम्म० सम्मामि० ओघभंगो । अनंताणु ० ४ ओघं । णवरि अवत्त ० संका ० असंखे० भागो । बारसक० -भय-दुगु छा० ओघं । वरि अत्त० णत्थि । पुरिसवे ० अट्टि० असंखे० भागो । भुज ० संका ० संखे० भागो । अप्प ० संका ० संखेजा भागा । एवमित्थिवेद ० हस्स-रेदि० । वरि अवट्टि० संका ० णत्थि । णवुंस० - अरदि-सोग० ओघं । णवरि अवत्त ० संका ० णत्थि । एवं सव्वणेरइय ०पंचिदियतिरिक्खतियदेवगइदेवा भवणादि जाव सहस्सार ति ।
६५२५. तिरिक्खेसु ओघं । णवरि बारसक० णवणोक० अवत्त० संका ० णत्थि । पंचिंदियतिरिक्खअपज० मणुस अपज० सम्म० सम्मा मि० भागो । अप्प ० संका ० असंखेजा भागा। सोलसक० णवणोक० अनंता ०४ अवत० णत्थि । पुरिसवेद ० अवट्ठि- संका ० णत्थि । ९५२६. मणुसेसु मिच्छ० अप्प ० संका० संखेजा भागा। सेसं संखे० भागो । सम्म० - सम्मामि० ओघं । सोलसक०-णवणोक० णारयभंगो । णवरि बारसक० णवणोक ०
भुज० संका ० असंखे ० तिरिक्खोघं । णवरि
संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । अल्पतर संक्रामक जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं |
६५२४. आदेश से नारकियोंमें मिथ्यात्व, सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भङ्ग ओधके समान है । अनन्तानुबन्धीचतुष्कका भङ्ग ओघके समान है । इतनी विशेषता है कि अवक्तव्य संक्रामकै जीव असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । बारह कषाय, भय और जुगुप्साका भङ्ग ओघ के समान है । इतनी विशेषता है कि अवक्तव्य संक्रामक जीव नहीं हैं। पुरुषवेदके अवस्थित संक्रामक जीव . असंख्यातवें भागप्रमाण हैं । भुजगार संक्रामक जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अल्पतर संक्रामक जीव संख्या बहुभागप्रमाण हैं। इसी प्रकार स्त्रीवेद, हास्य और रतिकी अपेक्षा जानना चाहिए । इतनी विशेषता है कि अवस्थित संक्रामक जीव नहीं हैं। नपुंसकवेद, अरति और शोकका भङ्ग श्रोघके समान हैं । इतनी विशेषता है कि अवक्तव्य संक्रामक जीव नहीं हैं। इसी प्रकार सब नारकी, पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिक, देवगतिमें सामान्य देव और भवनवासियोंसे लेकर सहस्रार कल्प तकके देवों में जानना चाहिए ।
$ ५२५. तिर्यों में घके समान भङ्ग है । इतनी विशेषता है कि बारह कषाय और नौ नोकषायोंके अवक्तव्य संक्रामक जीव नहीं हैं । पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्च अपर्याप्त और मनुष्य अपर्याप्तकों में सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्त्र के भुजगार संक्रामक जीव असंख्यातवें भांगप्रमाण हैं । अल्पतर संक्रामक जीव असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । सोलह कषाय और नौ नोकषायोंका भङ्ग सामान्य तिर्यञ्चोंके समान है । इतनी विशेषता है कि अनन्तानुबन्धीचतुष्कके अवक्तव्य संक्रामक जीव नहीं हैं । तथा पुरुषवेदके अवस्थित संक्रामक जीव नहीं हैं ।
६५२६. मनुष्यों में मिध्यात्वके अल्पतर संक्रामक जीव संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । शेप पदोंके संक्रामक संख्यातवें भाग मारण हैं । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भङ्ग श्रोघके समान