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गां०५८]
उत्तरपयडिपदेशसंकमे समित्त खविदकम्मसिओ एइंदियकम्मेण जहणणएण मणुसेसु ागदो, सव्वलहुं चेव सम्मत्तं पडिवएणो, संजम संजमासंजम च बहुसो लभिदाउगो, चत्तारि वारे कसाए उवसामित्ता वेछावद्विसागरो० सादिरेयाणि सम्मत्तमणुपालिदं, तदो मिच्छत्तं गदो, अंतोमुहुत्तेण पुणो तेण सम्मत्तं लडं, पुणो सागरोवमपुथत्तं सम्मत्तमणुपालिदं, तदो दिसणमोहणीयक्खवणाए अभूहिदो तस्स चरिमसमयअधापवत्तकरणस्स मिच्छत्तस्स जहएणो पदेससंकमो।
६६६. एदस्स सुत्तस्स अत्थो बुच्चदे। तं जहा-एत्थ खविदकम्म सियणिद्द सो सेसकम्मसियपडिसेहफलो । एइंदियकम्मेण जहण्णएणे ति वयणेण भवसिद्धियाणमभवसिद्धियाणं च साहारणमृदं खविदकम्मसियलक्खणमुवइटुं, सुहुमेह दिएस छावासयविसुद्धखविदकिरियाए कम्महिदिमेत्तकालमच्छिदस्स तदुभयसाहारणजहण्णेई दियकम्मसमुप्पत्तिदंसणादो । एवमेइ दिएसु कम्महिदि समयाविरोहेणाणुपालेऊण तदो मणुस्सेसु आगदो। किमट्ठमेसो मणुसगइमाणीदो १ सम्मत्तुप्पत्तियादिगुणसेढिणिज्जराहि बहुकम्मपोग्गलग्गालणं कादृण भवसिद्धियपाओग्गजहण्णसंतकम्मुप्पायणटुं । एदस्स चे अस्थविसेसस्स जाणावण?
* किसी एक क्षपितकमांशिक जीवने एकेन्द्रियसम्बन्धी जघन्य सत्कर्भके साथ मनुष्योंमें आकर अतिशीघ्र सम्यक्त्वको प्राप्त किया, अनेकबार संयम और संयमासंयमको प्राप्त किया, चार बार कषायोंका उपशम किया, साधिक दो छयासठ सागर काल तक सम्यक्त्वका पालन किया, अनन्तर मिथ्यात्वमें गया, पुनः अन्तर्मुहूर्तमें सम्यक्त्वको प्राप्त किया और सागरपृथक्त्व कालतक सम्यक्त्वका पालन किया, अनन्तर दर्शनमोहनोयकी क्षपणाके लिए उद्यत हुआ, अधःप्रवृत्तकरणके अन्तिम समयमें विद्यमान उसके मिथ्यात्वका जघन्य प्रदेशसंक्रम होता है।
६६६. अब इस सूत्रका अर्थ कहते हैं । यथा- यहाँ पर 'क्षपितकमांशिक' पदके निर्देशका फल शेष कमींशिकोंका निषेध करना है। 'एकेन्द्रियसम्बन्धी जघन्य सत्कर्मके साथ' इस वचनसे भव्यों और अभव्योंके क्षपितकर्म'शिकका साधारणभूत लक्षण कहा गया है, क्योंकि जो सूक्ष्म एकेन्द्रियोंमें छह आवश्यकोंसे विशुद्ध क्षपित क्रियाके साथ कर्मस्थितिप्रमाण काल तक रहा है उसके भव्य और अभव्य दोनोंके साधारणभूत एकेन्द्रियसम्बन्धी जघन्य सत्कर्म पाया जाता है। इस प्रकार एकेन्द्रियोंमें कर्मस्थितिका समयके अविरोधसे पालनकर अनन्तर मनुष्योंमें आया ।
शंका-इसे मनुष्यगतिमें किसलिए लाया गया है ?
समाधान-सम्यक्त्वकी उत्पत्तिसे लेकर गुणश्रेणिनिर्जराके द्वारा बहुत कर्म पुद्गलोंका गालन करके भव्योंके योग्य जघन्य सत्कर्मको उत्पन्न करनेके लिये इसे मनुष्यगतिमें लाया गया है।