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गा०५८] उत्तरपयडिपदेससंकमे सामित्त
१६१ मिच्छत्तं गदो तस्स पढमसमयमिच्छादिहिस्स उक्क० पदे०संक० । सो वुण अधापवत्तसंकमो। सोलसक०-छण्णोक० उक्क० पदे०संक० कर.. ? जो गुणिदकम्मंसिओ संखेजतिरियभवे कादूण पयदणेरइएसु उववण्णो, अंतोमु० सम्मत्तं पडिवण्णो । पुणो अणंताणु०चउक्क विसंजोएदि तस्स चरिमे द्विदिखंडए चरिमसमयसंकामयस्स उक्क० पदे० संक० । तिण्हं वेदाणं णारयभंगो।
५८. तिरिक्ख-पंचिंदियतिरिक्खतिय०३ मिच्छ०-सम्मामि० उक्क० पदे०संक० कस्स १ जो गुणिदकम्मंसिओ संखेज्जतिरियभवं कादर्णप्पप्पणो तिरिक्खेसु उववण्णो, सव्वलहुं सम्मत्तं पडिवजिय सव्वुक्कस्सियाए गुणसंकमद्धाए पूरेदूण से काले विज्झादं पडिहिदि त्ति तस्स उक्क० पदेससंक० । सम्मत्तस्स सो चेव उवसंतद्धाए पुण्णाए मिच्छत्तं पडिवण्णो तस्स पढमसमयमिच्छादिहिस्स सम्मत्त० उक्क० पदे०संक० । सोलसक०-छण्णोक० उक्क० पदे०संक० कस्स ? अण्णद० जो गुणिदकम्मंसि० अप्पप्पणो तिरिक्खेसु उववण्णो सबलहं सम्मत्तं पडिवण्णो, पुणो अणंताणुबंधिचउक्त विसेजोएदि तस्स चरिमे द्विदिखंडए चरिमसमयसंकात० तस्स उक्क० पदे०संक० । पुरिसवे०-णवुस० णारयभंगो। णवरि अप्पप्पणो तिरिक्खेसुववजावेयव्यो। इथिवेद० उक्क० पदेससंक० कस्स ? जो गुणिदकम्मंसि० अप्पप्पणो तिरिक्खेसु असंखेज्जवस्साउएसु उपवजिदूण पलिदो० असंखे०भागेण कालेण
मुहूर्तमें मिथ्यात्वमें गया उस प्रथम समयवर्ती मिथ्यादृष्टिके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है। और वह अधःप्रवृत्तसंक्रम होता है । सोलह कपाय और छह नोकषायोंका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ? जो गुणितकमांशिक जीव संख्यात तिर्यञ्चभवोंको करके प्रकृत नारकियोंमें उत्पन्न हो अन्तमुहूर्तमें सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ। पुनः जो अनन्तानुवन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करता है उसके अन्तिम स्थितिकाण्डकका संक्रम करनेके अन्तिम समयमें उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है। तीन वेदोंका भङ्ग नारकियोंके समान है।
५८. सामान्य तिर्यञ्च और पञ्चेन्द्रिय तिर्यञ्चत्रिको मिथ्यात्व और सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ? जो गुणितकर्मा पिक जीव तिर्यञ्चोंके संख्यात भवोंको करके अपने अपने तिर्यञ्चोंमें उत्पन्न हो अतिशीघ्र सम्यक्त्वको प्राप्तकर सबसे उत्कृष्ट गुणसंक्रम कालके द्वारा पूरण करके अनन्तर समयमें विध्यातसंक्रमको प्राप्त करेगा उसके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है। सम्यक्त्वका वही आलाप है। किन्तु जो उपशमसम्यक्त्वके कालको पूराकर मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ उस प्रथम समयवर्ती मिथ्यादृष्टिके सम्यक्त्वका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है। सोलह कषाय
और छह नोकपायोंका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ? जो अन्यतर गुणितकमांशिक जीव अपने अपने तिर्यञ्चोंमें उत्पन्न हो, अतिशीघ्र सम्यक्त्वको प्राप्तकर अनन्तर अनन् नुन्धीचतुष्ककी विसंयोजना करता है उसके अन्तिम स्थितिकाण्डकके संक्रम करनेके अन्तिम समयमें उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम होता है। पुरुषवेद और नपुंसकवेदके उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रमके स्वामित्वका भङ्ग नारकियोंके समान है । इतनी विशेषता है कि अपने अपने तिर्यञ्चोंमें उत्पन्न कराना चाहिए । स्त्रीवेदका उत्कृष्ट प्रदेशसंक्रम किसके होता है ? जो गुणितकमांशिक जीव अपने अपने असंख्यात वर्षकी आयुवाले तियेञ्चोंमें उत्पन्न हो, पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण कालके द्वारा स्त्रीवेदको पूरण करके