________________
१४६
गा०५८)
उत्तरपयडिअणुभागसंकमे वड्डीए सामित्त ६५४४. कुदो ? तत्थासंकमादो संकभप्पवुत्तीए परिप्फुडमुवलंभादो। * सेसाणं कम्मा मिच्छत्तभंगो।
६५४५. कसाय-णोकसायाणमिह सेसभावेण णिद्देसो । तेसि पयदसामित्तविहाणे मिच्छत्तभंगो कायव्यो, तत्तो एदेसि सामित्तगयविसेसाभावादो ति सुत्तत्थो । णवरि अवत्तव्यसंकमसामित्तसंभवगओ तेसिं विसेसलेसो अस्थि त्ति तण्णिहेसकरणट्ठमुत्तरं सुत्तजुगलमाह
वरि अपंताणुबंधीणमवत्तव्वं विसंजोएदूण पुणो मिच्छत्तं गंतूण आवलियादीदस्स।
* सेसाणं कम्माणमवत्तव्वमुवसामेदूण परिवदमाणस्स। ६ ५४६. एदाणि दो वि सुत्ताणि सुवोहाणि । एवमोघेण सामित्ताणुगमो कओ।
६५४७. संपहि सुत्तपरूविदत्थविसयणिण्णयकरणट्ठमेत्युच्चारणं वत्तइस्सामो। तं जहा–सामित्ताणुगमेण दुविहो णिद्देसो-ओषेण आदेसेण य । ओघेण विहत्तिभंगो। णवरि बारसक०-णवणोक० अवत्त० भुज०संकमावत्तचभंगो । एवं मणुसतिए । सेससव्वमग्गणासु विहत्तिभंगो।
६५४८. संपहि सामित्तसुत्तेण सूचिदकालादिअणिओगद्दाराणं विहासण?
६५.४४. क्योंकि वहाँ असंक्रमसे संक्रमरूप प्रवृत्ति स्पष्टरूपसे पाई जाती है। * शेष कर्मों का भङ्ग मिथ्यात्वके समान है।
६५४५. यहाँ पर 'शेष' पद द्वारा कपायों और नोकषायोंका निर्देश किया है। उनके प्रकृत स्वामित्वका विधान करते समय मिथ्यात्वके समान भङ्ग करना चाहिए, क्योंकि उससे इनकी स्वामित्वगत कोई विशेषता नहीं है यह इस सूत्रका अर्थ है। मात्र अवक्तव्यसंक्रमके सम्बन्धसे स्वामित्वसम्बन्धी उनमें थोड़ीसी विशेषता है, इसलिए उसका निर्देश करनेके लिए आगेके दो सूत्र कहते हैं
. * किन्तु इतनी विशेषता है कि जिसे विसंयोजनाके बाद पुनः मिथ्यात्वमें जाकर एक आवलि काल हुआ है वह अनन्तानुवन्धियोंके अवक्तव्यसंक्रमका स्वामी है।
* तथा उपशामनाके बाद गिरनेवाला जीव शेष कर्मों के अवक्तव्यसंक्रमका स्वामी है। ६५४६. ये दोनों ही सूत्र सुबोध हैं ।
___ इस प्रकार ओघसे स्वामित्वका अनुगम किया। ६५४७. अब चूर्णिसूत्रद्वारा कहे गये अर्थका निर्णय करनेके लिए यहाँ पर उच्चारणाको बतलाते हैं । यथा-स्वामित्वानुगमकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका है-ओघ और आदेश । ओघसे अनुभागविभक्तिके समान भङ्ग है। इतनी विशेषता है कि बारह कषाय और नौ नोकषायोंके अवक्तव्यसंक्रमका भङ्ग भुजगारसंक्रमके अवक्तव्यके भङ्गके समान है। इसी प्रकार मनुष्यत्रिकमें जानना चाहिए । शेष सब मार्गणाओं में अनुभागविभक्तिके समान भङ्ग है।
६५४८. अब स्वामित्वसम्बन्धी सूत्रके द्वारा सूचित हुए कालादि अनुयोगद्वारोंका विशेष