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जयपुर (खानिया) तत्व चर्चा
ये अमिट हैं । उपहास करने मात्र से इनको अप्रमाण महीं ठहराया जा सकता। इसमें सन्देह नहीं कि विकल्प और योगका स्वामित्व स्वीकार कर हमारे मन में चर्चा करनेका यदि उत्साह हुआ होगा तो ऐसी अवस्थामे अगर पसके द्वारा हमे अज्ञानी प्रसिद्ध करना सत्यका हो उद्घाटन महलाया और यदि मोक्षमार्गकी प्रसिद्धि सभामा शानभाषके प्रति आदर रखते हुए चर्चासम्बन्धी यह कार्य हुआ होगा तो अन्यके द्वारा हमें अज्ञानी कहे जाने पर भी हम अशानी नहीं बन जायेंगे यह तो अपनी अपनी परिणति है उसे वह स्वयं जान सकता है या विशेष ज्ञान विशेषु किमधिकम् ।
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