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________________ पूर्वांचल प्रदेश का जैन समाज /81 से आपने 15 वर्षों तक लगातार कार्य किया है । 1965 में गोहाटी में आयोजित "पंच कल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव" की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय आपके अत्यन्त विनम्र सर्वजन सुलभ,मिलनसार हँसमुख व्यक्तित्व को रहा । श्री नेमीचन्द जी जैन समाज के एक कर्मठ मेधावी कार्यकर्ता थे । आपके आकस्मिक निधन से समाज की भारी क्षति जैन गजट-26 अक्टू, 92 स्व. श्री फूलचन्द सेठी फुलचन्द जी का जन्म छपरा गांव में मातुश्री जडाव बाई की कोख से कार्तिक कृष्णा । 13 संवत् 1967 को हुआ। उस दिन नवम्बर 1911 थी । धनतेरस थी । इसलिये घर में पुत्र रत्न की प्राप्ति अत्यधिक शुभ मानी गई इसलिये पुत्र के जन्म लेते ही सारे परिवार में प्रसन्नता छः गई । माता-पिता की खुशी का क्या ठिकाना था । जन्म लेते ही चारों ओर फूल बरसने लगे इसलिये शिशु का नाम फूलचन्द रखा गया। व्यापार में फूलचंद जी प्रारम्भ से ही दक्ष रहे । जिधर भी आप हाथ डालते,लाभ ही लाभ मिलता । इसलिये विवाह के पूर्व ही आपने व्यापारिक क्षेत्र में नाम ही नहीं कमाया खूब धनोपार्जन भी किया । विवाह : चौद्धीसवर्ष की अवस्था में 11 मार्च,1935 फाल्गुण शुक्ला सप्तमी को आपका विवाह पलासबाडी में जौहरीमल जी की पुत्री लाडा देवी से हो गया । डीमापुर आगमन सन् 1944 में आपने कोहिमा छोड़ दिया और डीमापुर आकर बस गये । यहीं पर व्यापार व्यवसाय करने लगे और सर्वप्रथम आपने सूत का व्यवसाय किया और फिर पवनकुमार राजकुमार फर्म के नाम से गल्ले का थोक कार्य करने लगे । सन् 1951 से सन् 1974 तक आपने चीनी एवं गुड़ की लाखों बोरियों का कार्य किया और यहां भी सामाजिक एवं राष्ट्रीय सेवा में अपने आपको समर्पित रखा। डीमापुर आने के पश्चात् आपने अपने हाथों से यहां श्री दिगम्बर जैन मंदिर की नींव लगाई और धीरे-धीरे मंदिर को विशाल रूप प्रदान किया। दिगम्बर जैन मंदिर के सेक्रेट्री आपकी सामाजिक सेवा भावना को देखते हुये आपको निर्माणाधीन मंदिर का सेक्रेट्री बनाया गया 1 आपकी सेवा एवं लगन के कारण डीमापुर समाज ने आपको सदैव मस्तक पर रखा और मृत्यु पर्यन्त 48 वर्ष तक आपको ही सैक्रेटी पद पर बार-बार निर्वाचित करके प्रजातंत्र प्रणाली में एक नया अध्याय जोड़ा। किसी एक संस्था के इतने लम्बे समय तक सैक्रेट्री के पद पर बने रहने वाले संभवतः आप जैसे विरले ही व्यक्ति होंगे।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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