SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 94
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ - 76 / जैन समाज का वृहद् इतिहास श्री इन्द्रचन्द पाटनी पाटनी जी स्व. श्री गिरधारीलाल जी पाटनी के सुपुत्र थे। उनकी माता का नाम केशरीबाई था जिनका करीब 22 वर्ष पूर्व 65 वर्ष की आयु में स्वर्गवास हो गया था । इन्द्रचन्द जी का जन्म संवत् 1981 के फाल्गुन मास में हुआ तथा सामान्य शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात् पुस्तक व्यवसाय में लग गये। संवत् 2000 में आपका विवाह फूलकुमारी के साथ सम्पन्न हुआ और भादवा सुदी 14 के पावन दिन संवत् 2042 में श्रीमती जी का स्वर्गवास हो गया । पाटनी के पिताजी श्री गिरधारीलाल जी की बहिन आर्यिका इन्दुमती माताजी थीं । दोनों एक ही स्वभाव के थे। अपने ग्राम डेह के वे लोकप्रिय व्यक्ति थे इसलिये वर्षों तक बिना चुनाव के वे डेह माम के सरपंच चुने जाते रहे। डेह के दि. जैन मन्दिर के लिये आपके पिताजी ने ही जमीन दी थी तथा फिर मन्दिर निर्माण में पूरा सहयोग दिया था और शिखर में प्रतिमा विसजमान करने का यशस्वी कार्य किया । पाटनी जी उदार मनोवृत्ति के व्यक्ति थे। डीमापुर के जैन मन्दिर एवं हस्तिनापुर के जम्बूद्वीप में प्रतिमा विराजमान की थी इसी तरह सम्मेद शिखर के तेरहपंथी मन्दिर के नन्दीश्वर द्वीप चैत्यालय में एक-एक प्रतिमा विराजमान करवाई । इसी तरह रायगंज (बंगाल) एवं बारसोई (बिहार) के मन्दिरों में भी अपनी ओर से प्रतिमायें विराजमान कर चुके हैं। आपने डीमापुर के जैन भवन में एक कमरे का निर्माण करवाया। विशेष : पाटनी जी का दानी स्वभाव था। जहां भी जाते कुछ न कुछ सेवा कर ही आते थे। महावीर विकलांग समिति जयपुर के स्थायी सदस्य, पारमार्थिक सेवा संघ नागौर के ध्रुव फण्ड के सदस्य थे। आपके उदार स्वभाव के कारण बारसोई वेदी प्रतिष्ठा एवं इन्द्रध्वज विधान के अवसर पर आपका सार्वजनिक सम्मान किया गया। आप महासभा की ट्रस्ट फण्ड कमेटी के ट्रस्टी थे । प्रस्तुत इतिहास के लेखक को उन्होंने अपना परिचय सहर्ष लिखवाया था। लेकिन हमें दुःख है कि वे प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन को नहीं देख सके। हम उनकी स्वर्गीय आत्मा के प्रति हार्दिक श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं। श्री पाटनी जी को चार पुत्र एवं तीन पुत्रियों के पिता बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। इनमें सरोजकुमार ज्येष्ठ पुत्र हैं । 40 वर्षीय युवा हैं । बी.कॉम. हैं तथा विदेश यात्रा में भी आपने अपने नियम नहीं छोड़े हैं। आपकी पत्नी सरोजदेवी भी बी.कॉम. है तथा तीन पुत्रों की मां है। दूसरे पुत्र सुनीलकुमार ने बी.ए. तक अध्ययन किया है। आपको पत्नी शोभादेवी ने सन् 1942 में गौहाटी विश्वविद्यालय से बी. ए. प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान में पास किया। वर्तमान में आप एक पुत्र एवं एक पुत्री की मां है। तीसरे पुत्र मनोजकुमार भी बी कॉम हैं। आपका विवाह श्रीमती चन्दादेवी के साथ सम्पन्न हुआ। चतुर्थ पुत्र श्री प्रमोदकुमार बी.कॉम. I श्री पाटनी अपने पिता के एक मात्र पुत्र नहीं थे किन्तु आपके पांच भाई और हैं जिनमें कंवरीलाल जी पाटनी एवं मदनलाल जी पाटनी का स्वर्गवास हो चुका है तथा मिश्रीलाल जी पाटनी (58 वर्ष) पन्नालाल जी (47 वर्ष) एवं पारसमल जी पाटनी (43 वर्ष) अपने-अपने व्यवसाय में आगे बढ़े हुये हैं। स्व. कंवरीलाल जी पाटनी की धर्मपत्नी टीकी बाई प्रतिमा पारी महिला हैं ।
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy