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________________ समाज का इतिहास/55 दिगम्बर जैन महासभा के अध्यक्ष राय साहब श्री चांदमल जो पाइया समारोह में उपस्थित थे। प्रथम खंड में आचार्य श्री के प्रति साधुओं की श्रद्धांजलियाँ एवं स्तवन आदि है शेष चार खंडों में शास्त्रीय चर्चा प्रधान लेख है। स्मृति ग्रंथ ने इस दृष्टि से सैद्धान्तिक ग्रंथ का रूप ले लिया है। श्री तेजकरण इंडिया अभिनंदन ग्रंथ शिक्षक और समाज शीर्षक से जयपुर नगर के प्रसिद्ध शिक्षाविद श्री तेजकरण इंडिया का सन् 1975 में अभिनंदन ग्रंथ प्रकाशित करके सम्मानित किया गया। श्री इंडिया जी शिक्षा जगत के जैसे जाने माने हस्ती है वैसे ही सामाजिक क्षेत्र में भी अपना विशिष्ट स्थान रखते है। जयपुर के महावीर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के वे संस्थापको में से हैं और विगत कितने ही वर्षों से उसके अध्यक्ष भी हैं। प्रस्तुत ग्रंथ का सम्पादन श्री माणिक्य चन्द्र जैन एवं श्री नेमिचन्द काला ने किया है। अभिनंदन ग्रंथ में डंडिया जी के व्यक्तित्व, जीवन, संस्मरणों के अतिरिक्त राजस्थान की शिक्षण संस्थाओं पर भी प्रकाश डाला गया है। पंडित चैनसुखदास न्यायतीर्थ स्मृति ग्रंथ पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ समाज के बहुत लोकप्रिय विद्वान थे। उनके शिष्यवर्ग ने उनका अभिनन्दन ग्रंथ निकालने का जब कभी प्रयास किया पंडित जी के विरोध के कारण उसे स्थगित करना पड़ा। अन्त में उनका अभिनन्दन ग्रंथ समर्पण का निर्णय भी हो गया तथा लेख वगैरह भी मंगा लिये गये लेकिन 26 जनवरी 1969 को उनका अकस्मात निधन हो जाने के कारण अभिनन्दन ग्रंथ की स्मृति ग्रंथ में बदलना पड़ा और उनके स्वर्गवास के 7 वर्ष पश्चात उसे श्री महावीर जी क्षेत्र की ओर से प्रकाशित किया गया। स्मृति गंध के संपादक मंडल में पं. मिलापचन्द जी शास्त्री, डॉ. कमलचन्द सौगानी एवं डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल है। श्री ज्ञानचन्द खिन्दूका स्मृति ग्रंथ के प्रबन्ध सम्पादक है। स्मृति ग्रंथ को घार खण्ड़ों में विभाजित किया गया है। प्रथम खण्ड में श्रद्धान्जलियाँ, जीवन, व्यक्तित्व, कृतित्व एवं संस्मरण, दूसरे खण्ड में धर्म एवं दर्शन विषयक 14 लेख, तीसरे खण्ड में साहित्य एवं संस्कृति एवं चतुर्थं खण्ड में इतिहास एवं पुरातत्व से संबंधित लेख है। पं. समेस्चन्द दिवाकर अभिनन्दन ग्रंथ 4. सुमेस्चन्द दिवाकर की सेवाओं को देखते हुये उनके अभिनन्दन ग्रंथ का प्रकाशन सन् 1976 में हुआ और जबलपुर में आयोजित एक समारोह में श्री दिवाकर जी को यह ग्रंथ भेट किया गया। लेखक को भी उस समारोह में जाने का सुअवसर प्राप्त हुआ था। अभिनन्दन ग्रंथ के प्रधान सम्पादक डॉ. नन्दलाल जैन है तथा संपादक मंडल के अन्य सदस्यों में श्री लालचन्द जैन, डॉ. विद्याधर जोहरापुरकर, डॉ. सुकुमाल जैन एवं महेन्द्र सिंघई ने प्रबन्ध सम्पादक के रूप में योग दिया । अभिनन्दन
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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