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54 / जैन समाज का वृहद् इतिहास
थे। इसमें प्रारम्भ में गुजराती भाषा में सामग्री है और फिर हिन्दी में श्रद्धाजलियाँ एवं निबन्धों का संग्रह है ।
बाबू छोटेलाल जैन स्मृति ग्रंथ
प्रसिद्ध समाजसेवी बाब छोटेलाल जी जैन का पहिले अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशन का निश्चय किया गया था। पर्याप्त सामग्री का संकलन भी हो गया था लेकिन 26 जनवरी 1966 को उनका अब्बानक निधन हो गया । इसलिये अभिनन्दन ग्रंथ को स्मृति ग्रंथ के रूप में प्रकाशित किया गया। इसके सम्पादक मंडल में पं. चैनसुखदास जी न्यायतीर्थ, जयपुर, डॉ. ए. एन. उपाध्ये कोल्हापुर, पं. कैलाशचन्द शास्त्री वाराणसी, श्री अगरचन्द नाहटा बीकानेर, डॉ. कस्तूरचन्द कासलीवाल जयपुर, डॉ. सत्यरंजन बनर्जी कलकत्ता एवं पं. भवरलाल पोल्याका जयपुर थे। प्रकाशक बा. छोटेलाल जैन अभिन्दन समिति कलकत्ता है। स्मृति ग्रंथ सन् 1967 में प्रकाशित किया गया था। कलकत्ता में स्मृति ग्रंथ के समर्पण समारोह में लेखक को भी सम्मिलित होने का अवसर प्राप्त हुआ था ।
स्मृति ग्रंथ के प्रथम खण्ड में व्यक्तित्व, कृतित्व, संस्मरण एवं श्रद्धांजलियाँ है । दूसरा खण्ड इतिहास, पुरातत्व एवं शोध विषयक है तथा तीसरा खण्ड साहित्य, धर्म एवं दर्शन से सम्बन्धित है। चतुर्थ खण्ड अंग्रेजी के लेखों का है जिसमें 43 लेखों का संकलन है ।
श्री भंवरीलाल बाकलीवाल स्मारिका
भारतवर्षीय शांतिवीर दिगम्बर जैन सिद्धान्त संरक्षिणी सभा द्वारा प्रकाशित श्री भवरीलाल बाकलीवाल स्मारिका स्वर्गीय बाकलीवाल जी की सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक दिशाओं में की गई सेवाओं का मूर्त रूप है। भवरीलाल जी बाकलीवाल उद्योगपति थे अथाह धन के स्वामी थे लेकिन समाज सेवा के भाव उनकी रग रग में भरे हुये थे । वे कट्टर मुनि भक्त थे । आर्ष मार्गी थे तथा मुनि धर्म की किंचित भी अवमानना सहन नहीं करने वाले थे। भादवा कृष्णा 7 वि. सं. 1955 में पैदा होकर वे केवल 69 वर्ष की आयु में आश्विन शुक्ला 13 से. 2024 में चल बसे। जितने वर्ष जिये उतने वर्ष ही यशस्वी जीवन जीते रहे। उनके निधन के एक वर्ष पश्चात् ही स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन होना समाज में उनके प्रति सहज श्रद्धा का द्योतक है। स्मृति ग्रंथ का सम्पादन पं. इन्द्रलाल शास्त्री, पं. वर्धमान पार्श्वनाथ शास्त्री एवं डॉ. लालबहादुर शास्त्री ने किया। प्रारम्भ में उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अच्छा प्रकाश डाला गया है।
आचार्य श्री शिवसागर स्मृति ग्रंथ
आचार्य शिवसागर जी महाराज आचार्य शांतिसागर जी के प्रशिष्य एवं आचार्य वीरसागर जी के शिष्य थे। उनका जन्म संवत् 1958 एवं समाधिमरण संवत् 2025 में हुआ। इसके चार वर्ष पश्चात् डा. पन्नालाल जी साहित्याचार्य के संपादकत्व में प्रस्तुत स्मृति ग्रंथ श्रीमती सौ. भंवरीदेवी पांड्या द्वारा प्रकाशित कराया गया। ग्रंथ का विमोचन टीक (राज.) में दिनांक 24 मार्च 1974 को किया गया ।