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________________ समाज का इतिहास/53 श्रीमती जयमाला जैनेन्द्र किशोर जैन देहली रही। इसका प्रकाशन कराया। ग्रंथ विशालकाय है तथा उपयोगी सामग्री से परिपूर्ण है। आचार्य श्री शांतिसागर जी श्रद्धांजलि विशेषांक आचार्य श्री शांतिसागर जी वर्तमान शताब्दी के ऐसे महान आचार्य थे जिनके प्रति समस्त जैन समाज नतमस्तक है तथा जिन्होंने मृत्यु का सहर्ष वरण किया था। 84 वर्ष की अवस्था में दि, 18 सितम्बर,1955 जब उनका समाधिमरण हो गया तब विश्व के सभी धर्म प्रेमियों को हार्दिक वेदना हुई और उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि समर्पित की थी। महासभा को आचार्य श्री ने अंतिम संदेश दिया था। महासभा ने अपने जैन गजट पत्र का श्रद्धांजलि अंक प्रकाशित कराया। यही आचार्य श्री का स्मृतिग्रंथ है। प्रस्तुत श्रद्धांजलि विशेषांक में आचार्य श्री के पूरे जीवन के बारे में कोई लेख नहीं है केवल श्रद्धांजलियों, संस्मरण आदि है। इसमें साहित्यिक लेख भी है। संस्मरण कुछ बड़े राजनीतिक नेताओं के भी है। विशेषांक का अंग्रेजी अध्याय भी है। श्रद्धांजलि अंक के पश्चात् आचार्य श्री का कोई अलग से स्मृति ग्रंथ प्रकाशित नहीं हुआ। श्री तनसुखराय स्मृति ग्रंथ देहली निवासी लाला ननसुखराय जी जैन समाज सेवी एवं समाज सुधारक दोनों थे। समाज क्रांति एवं समाज उत्थान की वे सदैव सोचा करते थे। उनका जन्म 21 नवम्बर सन 1899 एवं निधन 14 जुलाई 1960 को हुआ 1 उनके निधन के पश्चात् उनकी सामाजिक, राजनैतिक एवं सार्वजनिक सेवाओं की स्मृति बनाये रखने के लिये स्मृति ग्रंथ का प्रकाशन किया गया। स्मृति ग्रन्थ के सम्पादक श्री जिनेन्द्र कुमार जैन, यशपाल जैन, अभय कुमार जैन एवं सुमेरचन्द जैन है। स्मृति ग्रन्थ में लालाजी की सेवाओं पर विशद प्रकाश डाला गया है। स्मृति ग्रंथ दो अध्यायों में विभक्त है। एक समाजसेबी की स्मृति को नाजा रखने के लिये ग्रंथ में अच्छी सामग्री का संकलन हुआ है। श्री कानजी स्वामी अभिनंदन ग्रंथ 20 वीं शानाब्दी के उत्तरार्द्ध में कानजी स्वामी जितने चर्चित रहे वह उनके विशाल व्यक्तित्व का द्योतक है। एक ओर वे भक्तो से घिरे रहते थे तो दूसरी ओर उन्हें विरोधियों के विरोध को भी सहन करना पड़ता था। सदा आत्मा की बात करने वाले स्वामी जी का अंतिम जीवन उनकी कथनी के अनुसार नहीं रह सका। उनके लिये अभिनंदन में कोई आकर्षण नहीं था क्योंकि उनका जीवन ही हजारों के लिये अभिनंदनीय धा। फिर भी वीर निर्वाण संवत 2490 तदनुसार 13 मई 1964 को स्वामी जी की हीरक जयन्ती के अवसर पर अभिनंदन ग्रंथ भेंट किया गया। इस अभिनंदन ग्रंथ के संपादन समिति में प. फूलचन्द जी सिद्धान्त शास्त्री, हिम्मतलाल कोटा वाले शाह, भीमचन्द, जैठालाल सेठ एवं ब्र. हरीलाल
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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