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________________ समाज का इतिहास / 47 पर खड़ी है। ज्ञानपीठ के माध्यम से जैन साहित्य की महान् सेवा कर रहे हैं। 4. श्री डालचन्द जी जैन सागर के उद्योगपति हैं। संसद सदस्य रह चुके हैं। भा. दि. जैन परिषद् के वर्तमान अध्यक्ष हैं। सुधारक विचारों के हैं। सागर एवं मध्यप्रदेश में अत्यधिक लोकप्रिय नेता है । समाज आपकी आवाज को ध्यान पूर्वक सुनता है। नेतृत्व करने की आपमें पूर्ण क्षमता है। 5. श्री रतनलाल जी गंगवाल लाइन एवं कलकत्ता के प्रसिद्ध गंगवाल परिवार के सदस्य हैं। गंगवाल साहब ने महासमिति के अध्यक्ष का पद भार साहू श्रेयान्स प्रसाद जी से ग्रहण किया है जिसको वे प्रशंसनीय ढंग से आगे बढ़ा रहे हैं। महासमिति को समाज की संसद माना जावे तो उस संसद के आप अध्यक्ष है। उदार स्वभाव के है। जहाँ तक सम्भव हो आप मिलकर चलने वाले है। समाज का आपके नेतृत्व में पूर्ण विश्वास है । 6. श्री डी. वीरेन्द्र हेगडे प्रसिद्ध वैष्णव तीर्थ "धर्म-स्थल" के धर्माधिकारी है। आपके प्रति भगवान मंजुलनाथ के भक्तों की अपूर्व अद्धा है। वे उन्हें देवतुल्य मानते हैं। वे समाज के न्यायाधिपति हैं इसलिये जो कुछ वे न्याय करते हैं उसे सभी शिरोधार्य कर लेते हैं। हेगडे साहब जैन धर्मावलम्बी है। दक्षिण भारत की जैन समाज के निर्विवाद नेता | अभी आपने धर्म स्थल में भगवान बाहुबली की विशाल खड्गासन प्रतिमा स्थापित की है। समाज को आप सभी तरह का सहयोग करते हैं। 7. श्री त्रिलोकचन्द कोठारी अ. भा. दि. जैन महासभा के महामन्त्री है और जैसा किसी बड़ी संस्था के एक महामन्त्री का आचरण होना चाहिये वही कर्मठता, कार्य के प्रति समर्पित भावना से आप ओत-प्रोत हैं। अपनी प्रतिज्ञा के अनुसार जब तक आपने महासभा की देश भर में शाखायें स्थापित नहीं करली आपने मीठा नहीं लिया और शाग को अन्न ग्रहण नहीं किया। कोठारी जी में स्वाभाविक नेतृत्व गुण है। वे अच्छे वक्ता है अपनी बात को श्रोताओं के गले उतारने में पूर्ण निपुण हैं। आपका पूर्ण धार्मिक जीवन है। पंचकल्याणकों में भगवान के माता-पिता बनते रहे हैं। बहुत बड़े कारोबार के मालिक हैं। महासभा के प्रतीक बने हुये हैं। 8. श्री रायबहादुर हरकचन्द पाण्ड्या रांची के निवासी हैं। अपनी सामाजिक सेवाओं के कारण बिहार के एकछत्र नेता है। महासभा के उपाध्यक्ष है लेकिन सभी सामाजिक संस्था वाले आपको अपना समझते हैं और आप अपना सहयोग भी सबको देते रहते हैं। बिहार प्रान्तीय तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष है। उदार स्वभाव के है। 9. श्री अमरचन्द जी पहाडिया का पहले फ्लासबाडी में व्यवसाय था इसलिये उन्हें पलासबाड़ी के नाम से जानते हैं। अमरचन्द जी महासभा के कट्टर समर्थक हैं। जबरजस्त मुनिभक्त हैं। मुनियों पर अन वाले उपसर्ग को देखकर आप विचलित हो जाते हैं और तत्काल उसके निवारण में जुट जाते हैं। एक
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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