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48/ जैन समाज का वृहद् इतिहास
बार कलकत्ता में आपने रात्रि को 3 बजे जाकर रव. माहू शान्ति प्रसाद जी को जगाया और मुनि महागज पर आने वाले उपसर्ग को अपने प्रभाव से दूर करने को कहा। पहाडिया साहब अत्यधिक दानशील स्वभाव के है। बिना दिवे तो कहीं से आते नहीं। शुद्ध श्रावक के कलव्यों का पालन करते है। समाज में आपकी अच्छी प्रतिष्ठा है।
10. श्री हरकचन्द सरावगी कलकत्ता जैन रत्न की उपाधि से सम्मानित है। दि. जैन महासभा के बरिष्ठ उपाध्यक्ष है। आचार, विचार एवं व्यवहार से पूर्ण श्रावक है। सुजानगढ़ में आप आचार्य धर्मसागर जी महाराज का चातुर्मास करा चुके हैं। तीर्थ भक्त है । दानशील है। सरल एवं विनयशील है। सामाजिक कार्यों में पूर्ण रुचि लेते हैं।
11, श्री देवकुमारसिंह कासलीवाल इन्दौर सर सेठ हुकमचन्द जी कासलीवाल के परिवार में जन्मे श्री देवकमारसिह जो में नेतृत्व करने की स्वाभाविक क्षमता है। भगवान महावीर के 2500वें परिनिर्वाण महोत्सव. भगवान बाहुबली सहसाब्दि महामस्तकाभिषेक समारोह, तीर्थ क्षेत्र रथ प्रवर्तन समारोह की योजना को सफल बनाने में आपका पूर्ण सहयोग रहा है। स्वभाव से सरल तथा कर्तव्य के प्रति पूर्ण सजग हैं। महासमिति, तीर्थ क्षेत्र कमेटी एवं महासभा सभी से आप जुड़े हुये है। अभी इन्दौर में आपने शोध संस्थान स्थापित किया है।
12. श्री लालबन्द दोषी, बम्बई अ.भा.दि, जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के पूर्व अध्यक्ष श्री लालचन्द दोषी महाराष्ट्र की जैन समाज में सर्वोपरि नेता हैं। आप बहुत बड़े उद्योगपति है लेकिन अपना जीवन समाज सेवा में समर्पित कर रखा है। राज्यसभा एवं महाराष्ट्र विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। शोलापुर में आपकी ओर से कितनी ही शिक्षण संस्थायें संचालित है। दक्षिण भारत जैन समाज में आपकी बात ध्यान पूर्वक सुनी जाती है। बम्बई जैसी विशाल नगरी में आपका विशिष्ट स्थान है।
13. श्री पूनमचन्द गंगवाल राजस्थान के पचार ग्राम में जन्मे श्री पूनमचन्द जी वर्तमान में राष्ट्रीय स्तर के समाजसेवी है। आप दि, जैन महासभा के उपाध्यक्ष एवं राजस्थान प्रान्तीय महासभा के अध्यक्ष है। लूणवा अतिशय क्षेत्र के अध्यक्ष है। परम धार्मिक है। मुनिभक्त है। देश के विभिन्न तीर्थों पर आपने कितने ही निर्माण कार्य कराये है। तिजारा तीर्थ पर आपका नि:शुल्क भोजनालय चलता है। आर्थिक सहयोग देने की उन्कट भावना रहती हैं। कितने ही पंचकल्याणको एवं इन्दध्वज विधानों में सौधर्म इन्द्र बन चुके हैं। सबको सहयोग देने की कामना करते है। भगवान बाहुबली के सन् 81 के महामस्तकाभिषेक के अवसर पर आपने एक बहुत बड़े यात्रा संघ का संचालन किया था जो इतिहास बन चुका है।
14. श्री प्रेमचन्द जैन जैनावाच, देहली के श्री प्रेमचन्द जी जैन जैनावाच के नाम से प्रसिद्ध है। आप में प्रारम्भ से ही समाज सेवा के प्रति खूब रुचि रही है। देहली जैन समाज की प्रत्येक गतिविधि में आपका हाथ रहता है। दि. जैन महासमिति एवं तीर्थ क्षेत्र कमेटी से आप पूर्ण रूप से जुड़े हुये है । मुनि भक्त है।