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________________ 46/जैन समाज का वृहद् इतिहास गंगवाल (ग्वालियर), श्री भगतराम जी जैन (देहली), श्रीमन्त सेठ मषभदास जी (खुरई), अमोलकचन्द जी एडवोकेट (खंडवा), भूपेन्द्र कुमार जी (उज्जैन), ताराचन्द जी प्रेमी (फिरोजपुर), जे.के. जैन (एम. पी. - देहली), श्रीमती सरयू दफ्तरी (बम्बई), पद्मश्री धर्मचन्द जी पाटनी इम्फाल, ज्ञानचन्द जी बिन्दूका, कपूरचन्द जी पाटनी, राजेन्द्र कुमार जी ठोलिया (जयपुर), माणकचन्द जी पालीवाल (कोटा), माणकचन्द जी सेठिया (कोटा), पी. यू. जैन (बम्बई), जयनारायण जैन (मेरठ), कैलाशचन्द जी चौधरी (इन्दौर) आदि महानुभावों के नाम लिये जा सकते है। दक्षिण भारत के जैन समाज में जो अनेक महानुभाव समाजसेवा में जुटे हुये है कुछ उत्तर भारत से गये हुये है तथा कुछ नहीं के निवासी है। ऐसे नहानुभावों में श्री भागालाल औ पहा. हैदराबाद), श्री श्रीनिवास जी जैन (मदास), चम्पालाल जी ठोलिया (पाण्डिचेरी), ताराचन्द जी पहाडिया (मद्रास), ताराचन्द जी बगड़ा (सेलम ) आदि के नाम और जोड़े जा सकते है। उक्त सभी श्रेष्ठीजन अखिल भारतीय स्तर की, प्रादेशिक स्तर की अथवा अपने ही नगर की प्रसिद्ध संस्थाओं से, तीर्थ क्षेत्र कमेटियों से अथवा अन्य रीति से सामाजिक कार्यों में अपना योगदान देते रहते है। यद्यपि प्रादेशिक स्तर के और भी नेतागण हो सकते हैं लेकिन हम उनका परिचय प्रादेशिक अध्यायों में देने का प्रयास करेंगे। 1. साहू श्रेयान्स प्रसाद जी जैन समाज के निर्विवाद नेता है । सम्पूर्ण जैन समाज से जुड़े हुये है। वे भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी एवं भा. दि. जैन महासमिति के वर्षों तक अध्यक्ष रह चुके है। समाज के विकास में वे जो योगदान दे रहे हैं वह कभी भुलाया नहीं जा सकेगा इसलिये समाज भी उनकी बातों को ध्यान से सुनता है। समाज की ओर से वे श्रावक शिरोमणि है तथा सरकार की ओर से वे पद्मभूषण है। बड़े उद्योगपति है। 2. श्री निर्मल कुमार जी सेठी भा.दि. महासभा के गत 10 वर्षों से युवा अध्यक्ष है। जुझार स्वभाव के होने के कारण उन्होंने इन वर्षों में पूरे देश का भ्रमण किया है। समाज से बातचीत की है तथा आर्ष परम्परा को बनाये रखने का जी-जान से प्रयास किया है। वे अके वाला है। पूर्णतः धार्मिक जीवन यापन करते हैं। कट्टर मुनिभक्त है और अपनी कट्टरता के कारण समाज के लोकप्रिय नेता बन सके है। उदार हृदय वाले है। लाखो रूपया संस्थाओं को दान देते है । विन्सनों के प्रति पूर्ण श्रद्धा के भाव रखते है। समाज सेवा की उनके मन में टीस है। 3. साडू अशोक कुमार जी जैन को समाज की बागडोर अपने पूज्य पिताश्री स्व. शान्ति प्रसाद जी जैन से प्राप्त हुई है और आपने जब से समाज का नेतृत्व सम्भाला है उसमें उत्तरोत्तर वृद्धि हुई है। भा. दि. जैन तीर्थ क्षेत्र कमेटी के अध्यक्ष होने के कारण तीर्थों की सुरक्षा का पूरा उत्तरदायित्व आपके कन्धों पर है और आप भी उस उत्तरदायित्व से कभी पीछे नहीं रहे है। समाज के अधिकृत प्रवक्ता है। सरकार भी आपकी बात को ध्यान से सुनती है । आपके अध्यक्ष बनने के पश्चात तीर्थ क्षेत्र कमेटी भी अपने ही पैरों
SR No.090204
Book TitleJain Samaj ka Bruhad Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherJain Itihas Samiti Jaipur
Publication Year
Total Pages699
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, History, & Culture
File Size16 MB
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